नपुंसक पति से छुटकारा पाने के लिए महिला ने किया झूठा केस
स्थानीय अदालत ने एक युवक और उसके परिवार को दुष्कर्म, छेड़छाड़ और पत्नी को धमकी देने के आरोपों से बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि महिला ने अपने नपुंसक पति से छुटकारा पाने के लिए झूठी शिकायत दर्ज कराई थी।
नई दिल्ली। स्थानीय अदालत ने एक युवक और उसके परिवार को दुष्कर्म, छेड़छाड़ और पत्नी को धमकी देने के आरोपों से बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि महिला ने अपने नपुंसक पति से छुटकारा पाने के लिए झूठी शिकायत दर्ज कराई थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने कहा कि महिला ने स्वीकार कर लिया है कि उसने झूठा मामला दर्ज कराया था। पति की नपुंसकता के कारण महिला का उसके पति और ससुरालवालों के साथ संबंध तनावपूर्ण थे। न्यायाधीश ने कहा कि महिला ने अपने पति और ससुरालवालों पर तलाक के लिए दबाव बनाने के लिए यह केस दर्ज कराया था।
महिला ने पति की नपुंसकता का पता चलने के बाद ससुराल छोड़ दी थी और उसने दुष्कर्म, देवर द्वारा अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने, छेड़छाड़ करने और ससुर द्वारा दुष्कर्म का प्रयास करने का झूठा केस दर्ज कराया था। अदालत ने सभी मामलों में युवक और उसके परिजनों को बरी कर दिया।
महिला ने वर्ष 2014 में शिकायत दर्ज कराई थी कि फरवरी 2013 में शादी होने के एक महीने के बाद ही उसके पति और ससुरालवालों ने उसे शारीरिक रूप से परेशान करना शुरू कर दिया था। वे सोने के गहने सहित 10 लाख रुपए दहेज मांग रहे थे। महिला ने यह आरोप भी लगाया था कि उसके देवर और ससुर ने उसने साथ अप्राकृति दुष्कर्म किया और धमकी भी दी।
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