मां ने किया मना तो सास ने किडनी दे बचाई बहू की जान
दिल्ली के उत्तम नगर की रहने वाली कविता की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं। साल भर से वह दवाइयों पर ही निर्भर थी। हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि कविता के पास सिर्फ डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट का ही विकल्प था।
नई दिल्ली। किसी शायर ने कहा है कि मां का प्यार सबके प्यार से 9 महीने ज्यादा होता है, लेकिन दिल्ली में जब एक मां ने अपनी ही बेटी को मौत के करीब छोड़ दिया तो ममता की मिसाल बनकर उसकी सास आगे आई।
सास-बहू के रिश्ते को स्नेह की नई इबारत तक पहुंचाया विमला ने, जिन्होंने बहू की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की।
दिल्ली के उत्तम नगर की रहने वाली कविता की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं। साल भर से वह दवाइयों पर ही निर्भर थी। हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि कविता के पास सिर्फ डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट का ही विकल्प था।
एेन वक्त पर किडनी देने से मुकरी मां
कविता की बिग़ड़ती हालत देखकर घरवालों ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने का फैसला किया। कविता की मां किडनी देने को तैयार हो गई, लेकिन सबके हाथ-पांव उस समय फूल गए, ऑपरेशन से कुछ घंटों पहले कविता की मां ने किडनी देने से मना कर दिया।
लेकिन कुछ ही लम्हों में ये आंसू खुशी के आंसू में बदल गए, क्योंकि मदद के लिए कविता की सास विमला आगे आई। 60 साल की विमला ने अपनी बहू को किडनी दान की। वह बताती हैं कि जब बहू की मां ने मना कर दिया तो मैंने कहा बेटी घबरा मत। मैं किडनी दूंगी। मुझे अपनी बहू बहुत प्यारी है। बेटी है मेरी। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद कविता और विमला दोनों ठीक हैं।
बीएलके सुपर स्पेश्यालिटी हॉस्पिटल के नेफ्रालॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ) डॉ. सुनील प्रकाश ने बताया कि यह रील लाइफ नहीं रियल लाइफ स्टोरी है, जिसका सुखद अंत हुआ। डॉक्टर ने बताया कि कविता का 23 जून को ऑपरेशन हुआ और किडनी प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक हो गया। अस्पताल के यूरोलॉजी और कविता प्रत्यारोपण विभाग के सीनियर सर्जन आदित्य प्रधान के अनुसार कविता और उसकी सास दोनों स्वस्थ हैं।