पिता और भाई पर दर्ज कराया घरेलू हिंसा का केस
पटियाला हाउस कोर्ट में घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम के तहत शिकायत दायर करते हुए बताया गया कि उसके परिजन और भाई उसे शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताडि़त करते हुए घर छोड़ने का दबाव बनाते।
नई दिल्ली। अकसर शादीशुदा या लिव-इन रिलेशनतशिप में रह रही किसी महिला द्वारा पति, उनके नातेदारों या प्रेमी के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम का मामला दर्ज कराने की बात सामने आती है, लेकिन एक अनोखे मामले में एक महिला ने अपने पिता और भाई पर ही इस कठोर अधिनियम के तहत मामला दर्ज करा दिया। मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला खुद वकील है।
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, वकील महिला ने पिछले वर्ष 23 जुलाई को यह मामला दर्ज कराते हुए बताया कि उसके पति द्वारा उसे प्रताडि़त किया जा रहा था। इसके बाद वह न्यू रंजीत नगर स्थित अपने मायके आ गई। पटियाला हाउस कोर्ट में घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम के तहत शिकायत दायर करते हुए बताया गया कि उसके परिजन और भाई उसे शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताडि़त करते हुए घर छोड़ने का दबाव बनाते।
24 जुलाई से 6 नवंबर के दरम्यान मायके में रहते हुए उसे घर खाली करने और ससुराल जाने का दबाव बनाया गया। जब उसने मना किया तो उसे शारीरिक एवं मौखिक तौर पर प्रताडि़त किया जाने लगा। यहां तक की उसे खाना भी नहीं दिया जाता और वहां रहने की एवज से प्रतिमाह भुगतान करने को कहा जाता।
महानगर दंडाधिकारी स्निग्धा सरवरिया ने 8 जनवरी को शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आरोपी पिता और भाई को समन जारी किया और उन्हें 24 फरवरी को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए। इसके बाद आरोपियों ने राहत पाने के लिए यह कहते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया कि उनके विरुद्ध उक्त प्रावधानों के तहत शिकायत मैनटेनेबल नहीं है। जस्टिस मनमोहन सिंह के समक्ष आरोपियों के वकील उदय गुप्ता ने कहा कि शिकायतकर्ता के पैतृक घर को इस कानून के तहत 'एक साझा घर" नहीं कहा जा सकता।
वकील ने एक मामले में कानून का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने डीवी एक्ट के सेक्शन 17(1) में व्याख्या की है कि ‘केवल पत्नी एक साझा घर में निवास करने के अधिकार का दावा करने की हकदार है’ और एक साझा घर से मतलब ‘पति का मकान, उसके द्वारा किराए पर लिए गए घर या जहां उसका संयुक्त परिवार निवास करता हो’, से है।
दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस सिंह ने आरोपी पिता और भाई की अर्जी पर शिकायतकर्ता महिला को नोटिस जारी और 26 मार्च तक पटियाला हाउस अदालत के समक्ष कार्रवाई पर रोक लगा दी।