सर्पदंश के बाद जिसे मृत समझकर बहा दिया वह जिंदा निकला
लखपत के परिजनों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था, जिस बेटे को वो सर्पदंश के बाद दो साल पहले मरा जानकर गंगा की लहरों में समर्पित कर आए थे, वह सपेरों की टोली के साथ गुरुवार शाम बीन बजाता मिला। उसे देखकर पहले तो सारा परिवार हैरत में पड़ गया, फिर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
पाकबड़ा [संवाद सहयोगी]। लखपत के परिजनों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था, जिस बेटे को वो सर्पदंश के बाद दो साल पहले मरा जानकर गंगा की लहरों में समर्पित कर आए थे, वह सपेरों की टोली के साथ गुरुवार शाम बीन बजाता मिला। उसे देखकर पहले तो सारा परिवार हैरत में पड़ गया, फिर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
सम्भल के छचैरा गांव निवासी स्वर्गीय खचेडू सिंह के तीन बेटे व एक बेटी है। खचेडू सिंह का सबसे छोटा बेटा लखपत सिंह [22] दो साल पहले खेत पर गया था। काम करते समय उसके दाहिने हाथ पर सांप ने काट लिया। लखपत को मृत घोषित कर दिया गया। परिजन लखपत को बुलंदशहर के नरौरा घाट मे बहाकर घर आ गए थे। दो महीने पहले असमोली के सैदपुर जसकौली गांव मे तमाशा दिखाते लखपत उर्फ संजय को उसकी रिश्तेदार मिथलेश ने पहचान लिया।
मिथलेश ने परिजनों को बताया तो उसकी खोज शुरू हुई। गुरुवार को लखपत बाबा बैजनाथ नाम के एक सपेरे के साथ मिला। बाबा बैजनाथ ने बताया कि उसे गंगा से निकालकर देसी दवाओं से उन्होंने उसके शरीर से जहर निकाल दिया। लखपत के मुताबिक य एक नया जीवन था इसलिए वह पुरानी बातें भूल चुका है। उन्होंने कहा कि अब संजय उन्हीं के साथ रहेगा। परिजनों के अनुसार, लखपत उन्हें नहीं पहचानता है लेकिन उन्हें ये संतोष है कि वह जिंदा है।