मास्टर जी जिन्होंने 16 साल से नहीं ली छुट्टी, कहते हैं यही मेरी स्टाइल है
मास्टर जी ने 16 साल के कार्यकाल के दौरान एक भी छुट्टी नहीं ली है।
पुणे, जेएनएन। एक छींक आने पर छुट्टी की अर्जी देने वाले कर्मचारियों को इस मास्टर का काम के प्रति अनोखा जोश और जुनून फूटे आंख नहीं सुहाएगा। पुणे के डॉक्टर डी वाई पाटिल होम्योपैथिक कॉलेज के प्रिंसिपल धर्मेंद्र शर्मा के काम के प्रति समर्पण की भावना का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि अपने 16 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली है।
उनके साथ काम करने वाले लोग और उनके मित्र उनसे कहते रहते हैं, क्या तुम्हें छुट्टी न लेने के लिए ट्रॉफी मिलेगी? उनके कुछ जानने वाले यहां तक कहते हैं कि छुट्टी न लेकर शर्मा अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। लेकिन लोगों के कहे से इतर डॉक्टर शर्मा लगातार काम को जिंदगी जीने का अंदाज बताते हैं।
बारहवीं पास करने के बाद उनका सपना था कि वे एमबीबीएस करें। लेकिन जब उन्हें होम्योपैथिक में भविष्य बनाने का मौका मिला तो उन्होंने इसे जी-जान से अपना लिया। डॉ. शर्मा का कहना है कि जो भी करो उसमें अपना बेस्ट देंने की कोशिश करो।
डॉ. शर्मा कहते हैं अपने 16 साल से ज्यादा के प्रोफेशनल करियर में वे कभी बीमार नहीं पड़े और एक भी छुट्टी नहीं ली। सामाजिक प्रयोजनों के लिए वे काम के बाद वक्त निकाल लेते हैं। जब उन्हें लोगों से मिलना होता है तो वे रविवार की छुट्टी या अन्य छुट्टियों को प्रमुखता देते हैं। डॉ. शर्मा शाम पांच बजे कॉलेज से छुट्टी के बाद शाम छह से नौ बजे तक अपने प्राइवेट क्लीनिक पर बैठते हैं। वे कहते हैं उनकी पत्नी उन्हें भलिभांति समझती हैं कि उनके लिए काम पहले है। डॉ. शर्मा अपने छात्रों और स्टाफ से भी यही कहते रहते हैं कि छुट्टी तभी लेनी चाहिए जब बहुत ज्यादा जरूरत है। छुट्टी हमारा विशेषाधिकार है इसका गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
कॉलेज के रजिस्ट्रार से जब डॉ. शर्मा की छुट्टियों के बार में पूछा गया तो उन्होंने सारा रिकार्ड खंगालने के बाद बताया कि शर्मा ने 16 साल पहले सिक लीव ली थी। वहीं जब धर्मेंद्र शर्मा से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जबाव दिया कि उन्होंने 25 साल से छुट्टी नहीं ली है.. सिस्टम एरर के चलते कॉलेज के रिकार्ड में मेरी एक छुट्टी दिखाई दे रही होगी।
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