नोटबंदी पर नरम नहीं पड़े विपक्ष के तेवर, संसद 14 दिसंबर तक स्थगित
संसद के शीतकालीन सत्र को खत्म होने में अब गिने-चुने दिन रह गए हैं, लेकिन विपक्ष नोटबंदी के मुद्दे पर किसी भी समझौते के मूड में नहीं दिख रहा। शुक्रवार को भी विपक्ष ने दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया।
नई दिल्ली, जेएनएन। संसद के शीतकालीन सत्र को खत्म होने में अब गिने-चुने दिन रह गए हैं, लेकिन विपक्ष नोटबंदी के मुद्दे पर किसी भी समझौते के मूड में नहीं दिख रहा। गुरुवार को विपक्ष ने नर्मी के कुछ संकेत दिए थे, लेकिन शुक्रवार को दोनों सदनों में जमकर हंगामा भी किया। हंगामे के कारण बार-बार बाधा पड़ने के बाद आखिरकार दोनों सदनों को 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया। जबकि 15 दलों के विपक्षी गठबंधन ने अब बिना किसी नियम के चर्चा के लिए हामी भरी थी।
कार्यवाही शुरू होते ही हंगामे की वजह से लोकसभा को पहले साढ़े 11 बजे, फिर 12 बजे और हंगामा नहीं थमा तो 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित करना पड़ा। यही नहीं हंगामे के कारण राज्यसभा को भी पहले 12 बजे, फिर दोपहर 2.30 और अंत में 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित करना पड़ा। इस बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, प्रधानमंत्री लोकसभा में आने से डर रहे हैं। बहस को लेकर सरकार घबरा रही है। उन्होंने कहा, बहस से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
राहुल गांधी ने कहा, मैं संसद में बोलना चाहता हूं, लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, नोटबंदी को पहले कालेधन पर रोकथाम का हथियार बताया गया और फिर भ्रष्टाचार व अब कैशलेस अर्थव्यवस्था की बात करने लगी है सरकार।
8 नवंबर को लागू हुई नोटबंदी एक महीना पूरा हो गया है। नोटबंदी के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर विपक्ष हमलावर बना रहा है। विपक्ष पूरे महीने सड़क से लेकर संसद तक सरकार को घेरने की कोशिशों में जुटा रहा है।
नोटबंदी का असर, माइक्रो फाइनेंस कारोबार हुआ चौपट
नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष पहले पीएम की सदन में मौजूदगी चाहता था, लेकिन बाद में नियमों की दुहाई देकर बहस में हिस्सा लेने से बचता रहा। पहले नियम 56, फिर बाद में नियम 184 के तहत विपक्ष ने चर्चा की मांग की। इन दोनों नियमों में मतविभाजन की व्यवस्था है, हालांकि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया कि वो नियम 193 के तहत चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन सरकार और विपक्ष के बीच इस नूराकुश्ती का असर ये रहा कि संसद का कीमती समय बर्बाद हो गया।
अब बिना नियम चर्चा
15 दलों के विपक्षी गठबंधन की मांग है कि नोटबंदी पर चर्चा अब बिना किसी नियम के हो। चर्चा की समाप्ति के बाद सदन की इच्छा के मुताबिक मतविभाजन कराया जाए। गुरुवार को विपक्ष ने काला दिवस मनाया था। राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ-साफ कहा कि विपक्ष बहस चाहता ही नहीं है। सरकार ने शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन साफ कर दिया था कि वो हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है। लेकिन विपक्ष की तरफ से हर रोज एक न एक बहाना कर बहस में रोड़े अटकाए गए।
नोटबंदी पर आज काला दिवस मना रहा विपक्ष, संसद फिर ठप
राष्ट्रपति की गुहार
नोटबंदी पर विपक्ष की भूमिका पर राष्ट्रपति ने भी गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि सांसदों का व्यवहार संविधान की भावना के खिलाफ है। जनहित के मुद्दे पर जिस तरह संसद में बहस से सांसद दूर भाग रहे हैं, वो अलोकतांत्रिक है। विपक्षी सांसदों को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि भगवान के लिए संसद को चलने दें।
आडवाणी की सरकार को झिड़की
भाजपा मार्गदर्शक मंडल के वरिष्ठ सदस्य और कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि स्पीकर और संसदीय कार्यमंत्री संसद को चलाने के लिए गंभीर ही नहीं हैं।