थर्ड एसी के बाद अब सेकंड एसी से भी हटाई जा सकती है यह सुविधा
थर्ड एसी डिब्बों में कॉरीडोर के पर्दे हटाने का फैसला करने के बाद रेलवे अब सेकंड एसी में भी इसे लागू करने पर विचार कर रहा है। यात्रियों की सहमति मिली तो सेकंड ऐसी बोगियों में भी बीच के पर्दे हटाए जाएंगे। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणोंद्र कुमार ने 'ट्रेन डिब्बों में अग्नि सुरक्षा की नई तकनीक' पर आयो
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। थर्ड एसी डिब्बों में कॉरीडोर के पर्दे हटाने का फैसला करने के बाद रेलवे अब सेकंड एसी में भी इसे लागू करने पर विचार कर रहा है। यात्रियों की सहमति मिली तो सेकंड ऐसी बोगियों में भी बीच के पर्दे हटाए जाएंगे। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणोंद्र कुमार ने 'ट्रेन डिब्बों में अग्नि सुरक्षा की नई तकनीक' पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के मौके पर गुरुवार को यह बात कही।
संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा फरवरी से दिल्ली-जम्मू राजधानी एक्सप्रेस में स्मोक डिटेक्शन अलार्म प्रणाली आजमाई जा रई है। अब तक के नतीजे संतोषजनक हैं। परीक्षण कामयाब रहा। अगस्त से इसे 20 अन्य ट्रेनों में लगाने के इंतजाम किए जाएंगे। बाद में सभी 7,000 ट्रेनों के 55 हजार यात्री डिब्बों में इसे चरणबद्ध ढंग से लगाया जा सकता है। पिछले साल ट्रेनों में आग की कई घटनाओं के बाद रेलवे बोर्ड ने नवंबर में यात्री डिब्बों में इस्तेमाल की जा रही सामग्री (कुशन, पर्दे, रेक्सीन, पेंट आदि) का सर्वे कराया था। इसकी रिपोर्ट आ गई है। ज्यादातर सामग्री मानकों के मुताबिक फायर रिटार्डेट पाई गई है।
रिपोर्ट का अध्ययन जारी है। चेयरमैन के अनुसार अभी तक रेलवे का जोर फायर रिटार्डेट मैटेरियल (जल्द आग न पकड़ने वाली सामग्री) के इस्तेमाल पर था। मगर अब आग की स्थिति में त्वरित निकासी व बचाव के उपायों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए कॉरीडोर (आइल) में दोनों तरफ खुलने वाले दरवाजों के विकास और प्रभावी स्प्रे प्रणाली लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर आग यात्रियों की गलती या लापरवाही से लगती है। 13 में से नौ मामलों में ऐसा ही पाया गया। इसलिए लोगों को शराब, पटाखे, केरोसिन या बैट्री जैसे ज्वलनशील सामान लेकर नहीं चलना चाहिए। ट्रेन में धूम्रपान न खुद करें न दूसरों को करने दें। यांत्रिक गड़बड़ी से बोगियों के भीतर बहुत कम आग लगती है। उनके मुताबिक अग्नि सुरक्षा की विदेशी तकनीकें भारत के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इसलिए रेलवे अपने उपायों पर काम कर रहा है।
रेलवे बोर्ड के सदस्य (यांत्रिक) आलोक जौहरी ने माना कि कुछ कमियां हैं। मगर हालात उतने खराब नहीं हैं जितने बताए जा रहे हैं। बोगियों में घटिया सामग्री के इस्तेमाल पर रेलवे के खिलाफ एक जनहित याचिका कोर्ट में डाली गई है। अगस्त में उसका जवाब दिया जाएगा, जिससे स्थिति काफी कुछ स्पष्ट हो जाएगी।