दोल्कुन इसा का वीजा रद्द करने से मजबूत होंगे भारत-चीन संबंध?
दक्षिण एशिया मामलों के जानकारों की मानें तो भारत की ओर से चीन के बागी नेता दोल्कुन इसा का वीजा रद करने पर दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार आ सकती है।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। चीन के विद्रोही नेता दोल्कुल इसा का भारत वीजा रद होने से क्या फायदे और नुकसान हैं। इस बारे में कई विशेषज्ञ अपनी अलग-अलग राय दे रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ इसे भारत-चीन संबंधों को लेकर एक नये अध्याय की शुरुआत मान रहे हैं तो कुछ का मानना है कि इससे आतंकवाद एवं अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में दोनों देशों को काफी मदद मिलेगी।
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दक्षिण एशिया में मजबूत होंगे रिश्ते
दक्षिण एशियाई मामलों की बात करें तो भारत की इस कार्रवाई से दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशंस में दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ फु शियाओक्आिंग ने ‘ग्लोबल टाइम्स’ से कहा कि भारत ने सोच समझकर एक निर्णय लिया है। इससे दोनों देशों के रिश्तों में और सुधार आएंगे।
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आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद
फु शियाओक्आिंग के मुताबिक भारत का यह कदम आतंकवाद एवं अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में आपसी सहयोग की भावना दर्शाता है। इससे भारत और चीन दोनों के साझे विचारों और आपसी सहयोग की प्रतिबद्धता को दिखाता है। फु ने कहा कि इससे भारत और चीन के बीच संबंधों के स्वस्थ विकास में योगदान मिलेगा।
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भारत ने इशा को क्यों दिया था वीजा?
चीन ने पठानकोट हमले के मास्टर माइंड मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों पर अड़ंगा लगा दिया था। चीन ने अपने वीटो का इस्तेमाल करते हुए मसूद को यूएन के आतंकियों की प्रतिबंधित सूची में डालने से मना करत दिया था। चीन का तर्क था कि मसूद पर लगाए आरोप उसे आतंकी घोषित करने में सक्षम नहीं हैंं। चीन की हरकत से नाराज भारत ने इसा को धर्मशाला में होने वाले सम्मेलन में शामिल होने के लिए वीजा जारी कर दिया।
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चीन क्यों था नाराज?
चीन उइगर नेताओं को बागी मनता हैं। उइगर नेताओं को चीन के मुस्लिम बहुल क्षेत्र जिनजियांग में समर्थन हासिल है। चीन इस मुस्लिम बहुल क्षेत्र को अशांत मानता है। इसा उइगर नेता हैं और उनपर जिनजियांग प्रोविंस में आतंकवादी घटनाओं में शामिल होने और हत्या की साजिश रचने का आरोप है। इनके खिलाफ 1997 में इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है। चीन का मानना है कि इन्होंने मुस्लिम बहुल जिनजिंयांग प्रोविंस में आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। यही वजह है कि चीन ने इसा को भारत की ओर से वीजा जारी करने पर नाराजगी जताई थी।
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