पढ़ें आखिर क्यों बंद हो रहे हैं मशहूर नियाग्रा के दो फॉल !
मशहूर नियाग्रा फॉल (जलप्रपात) के दो स्रोतों को बंद कर यहां मरम्मत की योजना बनाई जा रही है। भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि अध्ययन की दृष्टि से भी यह अवसर उनके लिए महत्वपूर्ण होगा।
नई दिल्ली, जागरण डेस्क : मशहूर नियाग्रा फॉल (जलप्रपात) के दो स्रोतों को बंद कर यहां मरम्मत की योजना बनाई जा रही है। भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि अध्ययन की दृष्टि से भी यह अवसर उनके लिए महत्वपूर्ण होगा।
यह फॉल अमेरिका और कनाडा की सीमा पर है। यहां तीन फॉल हैं- हॉर्सशू, अमेरिकन और ब्राइडल वेल। नियाग्रा नदी के पास होने की वजह से इन तीनों को मिलाकर इसे नियाग्रा फॉल कहा जाता है। ब्राइडल वेल और अमेरिकन फॉल की तरफ जाने वाला पैदल पुल इतना खतरनाक हो गया था कि इसे 2004 में बंद कर देना पड़ा। अब इसकी मरम्मत करने की योजना बन रही है। नियाग्रा फॉल में आने वाले पानी का सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा ही इन दोनों फॉल में आता है। इस तक पानी पहुंचाने वाले चैनल को बंद कर पानी रोका जा सकता है। अधिक पानी की वजह से ऐसा कनाडा की तरफ के हॉर्सशू फॉल के साथ संभव नहीं है।
भू-वैज्ञानिक अध्ययन भी
न्यूयार्क के भू-वैज्ञानिक मार्कस बर्सिक का कहना है कि सौंदर्य की दृष्टि से तो यह फॉल काफी आकर्षक है लेकिन इसका पर्याप्त भू-वैज्ञानिक अध्ययन नहीं हुआ है। इस तरह पानी रोककर काम होने का फायदा भू-वैज्ञानिक भी उठाएंगे। इससे पता चलेगा कि यहां लाखों लीटर पानी आते रहने का पत्थरों पर कितना प्रभाव पड़ रहा है।
कैसे करेंगे
इससे पहले 1969 में भी ऐसा किया गया था। लेकिन उस वक्त ज्यादा अध्ययन नहीं हो पाया था। फिर भी, उस वक्त की तस्वीरें हैं जिनसे आज की स्थिति का मिलान किया जाएगा। पिछली बार की तरह इस बार भी स्टीरियोफोटोग्राफी करने की योजना है। यह एक किस्म की वीडियो रिकॉर्डिग है जिसमें 3डी फोटोग्राफी की जाती है। इसके कैमरे में तीन लेंस होते हैं जिनमें से दो चित्र लेते रहते हैं। आम कैमरे में एक ही लेंस से फोटो ली जाती है। इस तरह के चित्रों के जरिये देखा जाएगा कि पानी के प्रवाह से पत्थरों के टूटने और गिरने की गति में कोई असामान्य बदलाव तो नहीं आ रहा है।