बिहार में किसे मिलेगी कमान, चेहरे को लेकर भाजपा में असमंजस
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 185 प्लस का लक्ष्य तो तय कर लिया है, लेकिन यह असमंजस खत्म नहीं हो रहा कि लड़ाई का सेनापति नियुक्त किया जाए या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के साथ ही मैदान में उतरा जाए।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 185 प्लस का लक्ष्य तो तय कर लिया है, लेकिन यह असमंजस खत्म नहीं हो रहा कि लड़ाई का सेनापति नियुक्त किया जाए या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के साथ ही मैदान में उतरा जाए। पार्टी के अंदर खेमेबाजी और नेतृत्व को लेकर खींचतान में संभव है कि भाजपा सामूहिक नेतृत्व में ही चुनावी मैदान में उतरे। जनता परिवार के विलय की स्थिति तो कुछ दिनों में स्पष्ट होगी, लेकिन सूत्रों की मानें तो भाजपा वर्तमान राजनीतिक स्थिति में भी बहुत उत्साहित नहीं है।
जमीनी स्तर पर हुए आकलन में पार्टी के सामने ऐसा कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं है, जो नीतीश कुमार के मुकाबले सौ फीसदी खड़ा हो सके। सत्ता में भाजपा की भी भागीदारी रही, लेकिन कोई चेहरा मुखर नहीं हो पाया। एक नेता का कहना है- ‘सात-आठ साल के गठबंधन सरकार में चेहरा केवल नीतीश बने रहे। उनकी आवाज ही भाजपा की भी आवाज मानी जाती रही।’ वहीं, अब भाजपा के अंदर राज्य से लेकर केंद्र तक ऐसे कई नेता हैं जो बिहार में मुख्यमंत्री पद की कामना पाले हुए हैं और कभी-कभार उसे प्रकट भी करते रहे हैं। परोक्ष रूप से ऐसे में यह डर भी है कि किसी एक नेता को सामने करने पर भितरघात हो सकता है।