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सहारनपुर दंगा: आखिर कौन थे भीड़ को उकसाने वाले?

हाथों में धारदार हथियार और कमर में तमंचे अटे थे। कानून उनके पैरों तले था। गंगा जमुनी तहजीब किस्से कहानियों का हिस्सा लग रहा था। ऐसा लग रहा था कि नफरत के सौदागरों ने आम शहरी को झुलसाने की पूरी तैयारी कर रखी थी। दस नहीं बीस नहीं, करीब सौ से अधिक गोलियां जान लेने के इरादे से चलीं।

By Edited By: Published: Sun, 27 Jul 2014 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 27 Jul 2014 09:31 AM (IST)
सहारनपुर दंगा: आखिर कौन थे भीड़ को उकसाने वाले?

सहारनपुर (मुकेश त्यागी)। हाथों में धारदार हथियार और कमर में तमंचे अटे थे। कानून उनके पैरों तले था। गंगा जमुनी तहजीब किस्से कहानियों का हिस्सा लग रहा था। ऐसा लग रहा था कि नफरत के सौदागरों ने आम शहरी को झुलसाने की पूरी तैयारी कर रखी थी। दस नहीं बीस नहीं, करीब सौ से अधिक गोलियां जान लेने के इरादे से चलीं। कारोबार में व्यस्त रहने वाले अंबाला रोड पर उपद्रवियों ने दो दर्जन से अधिक दुकानों में लूटपाट के बाद आग के हवाले कर दिया।

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सवाल यह है कि हिंसा एक मामूली विवाद के बाद भड़की या सियासी जमावड़े ने इसे भड़काया। चर्चायें बहुत हैं, लेकिन ऐसी जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंचाती। जब कुतुबशेर थाने में डीएम व एसएसपी के साथ विवाद के हल के लिए बैठक चल रही थी तो बाहर खड़ी भीड़ को किसने उकसाया? एकाएक हथियार और पत्थर कहां से आ गए? सड़क पर धरने में बैठे और निर्माण कार्य में लगे लोग एक दूसरे की जान के दुश्मन कैसे बन गए। मात्र बीस मिनट के अंतराल में सुबह अचानक हजारों की भीड़ कुतुबशेर थाने के आसपास कैसे पहुंच गई?

सवाल यह भी है कि डीएम व एसएसपी से वार्ता करने वाले नेताओं का जाते ही किसके इशारे पर पुलिस पर फायरिंग व आगजनी की घटना हुई? घायलों में दोनों पक्षों के लोग हैं और ज्यादातर गोली लगने या धारदार हथियारों से घायल हुए हैं। क्या दोनों पक्षों ने कानून हाथ में लेने का इरादा बना रखा था? अगर हां, तो ये सब किसके इशारे पर हुआ। पुलिस-प्रशासन की दिलचस्पी इन सवालों के जवाब ढूंढ़ने में कभी नहीं रहती।

यही सवाल बार-बार नासूर बन कर शहर को जख्म दे जाते हैं। शनिवार तड़के से पूरे शहर में अराजकता का जिस तरह नंगा नाच हुआ उसकी प्लानिंग पहले से तैयार थी, इसकी गवाह घायल, मौका और तमाम चीजों दे रहीं हैं। पूरे शहर में जिस तरह हिंसा फैली उससे साफ है कि बलवाइयों के पास अफवाहों का भी पूरा तंत्र था। छतों से खाकी पर फायरिंग की गई और करीब तीन घंटे से अधिक पथराव हुआ। मौके से मिला स्वचालित हथियार के खोखे गवाही दे रहे थे कि पूरी तैयारी पहले से थी।

व्हाट्सएप और फेसबुक पर देखा दंगे का लाइव

लोगों ने सहारनपुर दंगे का लाइव व्हाट्स एप और फेसबुक पर देखा। शनिवार को पुलिस की न्यूज मैसेज सेवा भी बंद रही, जो अन्य दिनों में जिलों में होने वाली हर घटना की सूचना व्हाट्स एप पर जारी होती थी। न्यूज की मैसेज सेवा क्यों बंद रही, इसका कारण तो पता नहीं चल पाया, पर व्हाट्स एप और फेसबुक पर लोगों ने दंगे का लाइव देखा। इसकी कवरेज पुलिस ने नहीं की थी, बल्कि दंगाइयों ने खुद पूरे घटनाक्रम को कैमरों में कैद कर उसे फेसबुक व व्हाट्स एप पर जारी कर दिया था। हालांकि न्यूज चैनल भी दंगे की रिपोर्टिग टीवी पर दिखा रहे थे।

कई बार बैकफुट पर लौटना पड़ा था अधिकारियों को

दंगाइयों के आगे पुलिस प्रशासन कई बार बेबस दिखा और बैकफुट पर आना पड़ा। इसी का नतीजा रहा कि दंगाइयों ने जमकर लूटपाट, आगजनी व फायरिंग की। सहारनपुर में दंगाइयों को नियंत्रण करने का प्रयास कर रहे पुलिस प्रशासन व अधिकारियों की एक न चली। यहां तक की कई स्थानों पर तो अधिकारियों ने इधर-उधर छुपकर अपनी जान बचाई। आलम यह था कि दोनों पक्षों के बीच आपस में टकराव के साथ-साथ अधिकारियों को भी निशाना बनाया जा रहा था। कुतुबशेर के सामने पुरानी मंडी में तो हालात ऐसे थे कि दंगाइयों ने अधिकारियों व फोर्स पर कई बार पथराव और फायरिंग करते हुए बैक फुट पर लौटने के लिये विवश कर दिया। इस दौरान छतों के ऊपर से भी पुलिस पर सीधे फायरिंग की गई। लोगों का कहना था अगर पुलिस प्रशासन ने तत्काल ही दंगाइयों पर एक्शन ले लिया होता तो ये नौबत नहीं आती।

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