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यूपी हाईकोर्ट परिसर में खुन्नस में रखा टिफिन बम, आरोपी गिरफ्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट में टिफिन बम रखने वाला गिरफ्तार कर लिया गया। उसने खुन्नस में बम रखा रखा था। 14 साल काम करने के बादजूद उसे परमानेंट नहीं किया गया था।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 28 Oct 2016 05:02 PM (IST)Updated: Sat, 29 Oct 2016 06:31 PM (IST)
यूपी हाईकोर्ट परिसर में खुन्नस में रखा टिफिन बम, आरोपी गिरफ्तार

इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में टिफिन बम रखने वाला गिरफ्तार कर लिया गया। उसने कोर्ट से खुन्नस खाकर बम रखा रखा था। वह 14 साल से काम करने के बादजूद परमानेंट नहीं किया गया था। इसीलिए उसने ऐसी साजिश रची। पुलिस ने 24 घंटे के भीतर ही केस ओपन कर दिया है। पकड़े गए युवक का नाम संतोष कुमार अग्रहरि है। उसने अपना अपराध कुबूल कर लिया है।

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दरअसल, त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट मे बम मिलने से करीब चार घंटे खलबली मची रही।टिफिन कोर्ट नंबर 55 मे रखा गया था। सुरक्षा कर्मियो ने लावारिस टिफिन देख अफसरों को सूचना दी। टिफिन मे विस्फोटक, सुतली बम, पटाखे और गिट्टियां- छर्रे थे। आधी रात तक आला अफसर हाईकोर्ट के अंदर जांच मे जुटे रहे। आइबी, एटीएस और बम डिस्पोजल स्क्वायड ने सभी कोर्ट रूमो की बारीकी से तलाशी ली। रात करीब 12 बजे डीएम संजय कुमार और एसएसपी शलभ माथुर ने बताया कि टिफिन मे मिले सफेद पाउडर (बारूद) को जांच के लिए फोरेसिक लैब भिजवाया जा रहा है।

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इलाहाबाद एसएसपी शलभ माथुर के मुताबिक, देर शाम करीब साढ़े सात बजे हाईकोर्ट के एक कर्मचारी की निगाह कोर्ट नंबर 55 के पब्लिक रो मे जमीन मे रखे टिफिन पर पड़ी। उसने सीआरपीएफ के कमांडेट को सूचना दी। टिफिन एक पालीबैग मे था। मामला संदिग्ध लगा तो अलर्ट किया गया। आइजी केएस प्रताप कुमार, डीआइजी विजय यादव भी पहुंच गए। बीडीएस ने टिफिन पानी मे डाल सुतली बम को निष्कि्रय किया। डीएम ने कहा कि बारूद क्या है, यह कहना अभी मुश्किल है। टिफिन मे दिवाली मे आतिशबाजी के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले पटाखे भी थे। एहतियातन पूरे परिसर की चेकिंग हुई। बीडीएस की टीमे जांच मे जुटी रही। डीएम के मुताबिक, तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे के बाद भी टिफिन बम कोर्ट तक कैसे ले जाया गया, इसकी जांच की जा रही है। हाईकोर्ट मे 200 सीसीटीवी कैमरे हैं। सभी की रिकार्डिग देर रात तक चेक की जा रही थी। डीएम-एसएसपी दोनो का कहना था कि विस्फोटक इतना ही नही कि उससे ब्लास्ट हो सके। सर्किट भी नही लगा है। महज बारूद, पटाखे आदि धमाका नही किया जा सकता। यह किसी की शरारत है। फिर भी मामला गंभीर है। इसकी गहराई से जांच कराई जाएगी।

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कचहरी में बम रखने की वारदातें

  • 2016 अप्रैल में वाराणसी की एक अदालत में परिसर में हैंड ग्रेनेड मिलने से हड़कमप मचा। समय रहते पुलिस ने उसे डिफ्यूज कर दिया और कोई हादसा होने से बच गया। यह बम कचहरी के गेट नंबर दो पर रखा गया था।
  • 2016 में लखनऊ सिविल कोर्ट परिसर में बम होने की सूचना से हड़कम्प मच गया। अधिकारियों के आदेश पर वजीरगंज पुलिस, डॉग स्क्वॉयड, बम निरोधक दस्ते व जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कचहरी परिसर का चप्पा-चप्पा खंगाला। इस दौरान किसी को परिसर में घुसने नहीं दिया गया। पुलिस ने परिसर के इर्द-गिर्द खड़े वाहनों की तलाशी लेने के साथ राहगीरों से भी पूछताछ की। करीब पांच घंटे चले तलाशी अभियान में कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। इसके चलते किसी कोर्ट में कोई न्यायिक अधिकारी, कर्मचारी, वकील व वादकारी नहीं गए।
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  • 2015 में कानपुर अगस्त में कचहरी परिसर में रखे बम में जोरदार धमाके से भगदड़ मची थी। कानपुर कचहरी में रोज की तरह सामानय रूप से काम हो रहा था। तभी यहां के शताब्दी गेट के सामने बनी पुरानी कचहरी परिसर के निचले तल में तेज धमाका हुआ। धमाके की आवाज सुनते ही कचहरी में भगदड़ मच गई और लोग इधर-उधर सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे।
  • 2014 में फैजाबाद जिला अदालत में पेशी पर आए सुल्तानपुर के धनपतगंज के पूर्व ब्लॉक प्रमुख और बाहुबली मोनू सिंह की हत्या करने के लिए गैंगवार हो गया। पुलिस हिरासत में कोर्ट पहुंचे मोनू सिंह को मारने के लिए दो बदमाश न सिर्फ कोर्ट परिसर में दाखिल हो गए, बल्कि उन्होंने बम भी मार दिया। इतना ही नहीं, इसके बाद जमकर फायरिंग शुरू हो गई।

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