टीकों की निगरानी व्यवस्था पर डब्लूएचओ की मुहर
डब्लूएचओ ने इस परीक्षण में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के साथ ही राज्यों की निगरानी व्यवस्था और इन टीकों के असर पर नजर रखने वाली व्यवस्था को भी शामिल किया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में टीकों पर निगरानी की व्यवस्था पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने अपनी मुहर लगा दी है। डब्लूएचओ की अंतरराष्ट्रीय टीम ने ग्लोबल बेंचमार्किग टूल के आधार पर पांच दिन की समीक्षा के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक सही पाया है। डब्लूएचओ के प्रीक्वालिफिकेशन प्रोग्राम (पीक्यूपी) में सफल रहने के बाद अब भारतीय टीका उद्योग को और मजबूती मिल सकेगी।
डब्लूएचओ ने इस परीक्षण में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के साथ ही राज्यों की निगरानी व्यवस्था और इन टीकों के असर पर नजर रखने वाली व्यवस्था को भी शामिल किया था। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सीके मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस लिहाज से बहुत गंभीर प्रयासों के आधार पर लंबी कोशिशों के जरिए पूरी व्यवस्था में सुधार किया गया है। भारत दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता देशों में है और यहां से 150 से ज्यादा देशों को बहुत बड़ी मात्रा में टीके निर्यात होते हैं।
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डब्लूएचओ की ओर से टीकों के राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (एनआरए) को दी गई स्वीकृति के बाद भारतीय टीकों की गुणवत्ता को ले कर दुनिया भर के देश आश्वस्त हो सकेंगे। डब्लूएचओ के भारत प्रतिनिधि बेंक हेकडम ने इस मौके पर कहा, 'वैश्विक स्वास्थ्य में भारत की भूमिका को मजबूत करने के लिहाज से यह बहुत अहम कदम है। खास तौर पर दवा उद्योग और नियामक क्षमता को को मजबूत करने के लिहाज से।'
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दुनिया भर में सप्लाई के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां भी बड़ी मात्रा में टीकों की खरीद करती हैं। डब्लूएचओ की ओर से भारतीय नियामक व्यवस्था को सही पाए जाने के बाद अब ये एजेंसियां यहां से इन टीकों को सीधे खरीद सकेंगी। भारत में टीका बनाने वाली 21 बड़ी इकाइयां चल रही हैं। इससे भारत के टीका निर्माण उद्योग को और मजबूती मिल सकेगी। डब्लूएचओ अपने इस प्रीक्वालिफिकेशन प्रोग्राम (पीक्यूपी) में टीकों की गुणवत्ता, सुरक्षा और असर का भी आकलन करता है।