लग सकता है 'ई-सिगरेट' पर प्रतिबंध
देश में ई-सिगरेट का उपयोग बढ़ने की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय इसके नियमन की तैयारी में जुट गया है। इस लिहाज से जिन प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है, उनमें ई-सिगरेट के प्रभाव का पूरा अध्ययन होने तक इस पर पूरी तरह प्रतिबंध सबसे ऊपर है।
नई दिल्ली। देश में ई-सिगरेट का उपयोग बढ़ने की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय इसके नियमन की तैयारी में जुट गया है। इस लिहाज से जिन प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है, उनमें ई-सिगरेट के प्रभाव का पूरा अध्ययन होने तक इस पर पूरी तरह प्रतिबंध सबसे ऊपर है।
अक्तूबर में तंबाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक से पहले सदस्य देशों की मदद के लिए डब्ल्यूएचओ ने ई-सिगरेट पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। तंबाकू नियंत्रण पर अंतरराष्ट्रीय समझौते (एफसीटीसी) के अमल को लेकर 13 से 18 अक्तूबर को रूस में होने वाली बैठक के बिंदुओं में 'इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम' भी प्रमुखता से शामिल है। भारत भी इस समझौते में शामिल है।
इस बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि ई-सिगरेट को लेकर कई महीनों से विचार-विमर्श किया जा रहा है। भारत में इसके बढ़ते उपयोग को देखते हुए जल्दी ही इसके नियमन की तैयारी की जा रही है। मुमकिन है कि जल्दी ही इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाए। इसकी वजह यह है कि भारत में इसकी आनलाइन बिक्री काफी हो रही है। इसमें कई विदेशी वेबसाइट भी शामिल हैं।
उधर, जेनेवा स्थित डब्ल्यूएचओ मुख्यालय से इसके प्रोजेक्ट मैनेजर विनायक मोहन प्रसाद ने फोन पर कहा कि ई-सिगरेट कंपनियां दुनिया भर में युवाओं को लक्ष्य बना रही हैं। तंबाकू उत्पादों के मुकाबले इसे स्वास्थ्यकर विकल्प बताया जा रहा है। इन सब पर तत्काल अंकुश लगाए जाने की जरूरत है।
कोट-
''सामान्य सिगरेट पीना अगर सौवीं मंजिल से कूदने के बराबर है, तो ई-सिगरेट पांचवीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या करने की तरह है।''
-विनायक मोहन प्रसाद, प्रोजेक्ट मैनेजर, डब्ल्यूएचओ, जेनेवा
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