बाड़े में कूदे युवक को बाघ ने मार डाला
दिल्ली के चिड़ियाघर में एक दिल दहला देने वाली घटना में सफेद बाघ ने बाड़े में कूदे युवक को खींचकर बेरहमी से मार डाला। इससे पहले युवक मकसूद करीब 15 मिनट तक बाड़े में जिंदा रहा। लगभग 10 मिनट तक तो वह बाघ के सामने हाथ जोड़कर बैठा रहा और जान बख्श देने की भीख मांगता रहा। बाघ ने उसे चाटा, चार-पांच बार हल्के पंजे मारे और वापस लौट गया। इस बीच बाड़े के बाहर जमा हुई भीड़ ने शोर मचाना शुरू कर दिया। किसी ने बाघ को पत्थर मार दिया। भड़का बाघ वापस लौटा और युवक की गर्दन में दांत गड़ा दिए। दो दफा गर्दन पर वार कर उसने मकसूद की जान ले ली। युवक की दिमागी हालत कमजोर थी।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के चिड़ियाघर में एक दिल दहला देने वाली घटना में सफेद बाघ ने 18 फुट गहरे बाड़े में कूदे 20 वर्षीय युवक को खींचकर बेरहमी से मार डाला। इससे पहले युवक मकसूद करीब 15 मिनट तक बाड़े में जिंदा रहा। लगभग 10 मिनट तक तो वह बाघ के सामने हाथ जोड़कर बैठा रहा और जान बख्श देने की भीख मांगता रहा। बाघ ने उसे चाटा, चार-पांच बार हल्के पंजे मारे और वापस लौट गया। इस बीच बाड़े के बाहर जमा हुई भीड़ ने शोर मचाना शुरू कर दिया। किसी ने बाघ को पत्थर मार दिया। भड़का बाघ वापस लौटा और युवक की गर्दन में दांत गड़ा दिए। दो दफा गर्दन पर वार कर उसने मकसूद की जान ले ली। युवक की दिमागी हालत कमजोर थी।
इस मामले में चिड़ियाघर प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। युवक करीब 15 मिनट तक बाड़े में जिंदा रहा मगर प्रशासन बाघ को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं कर पाया। बाड़े के कर्मचारियों के पास ट्रैंक्विलाइजर गन (बेहोश करने वाली बंदूक ) या अन्य कोई उपकरण मौजूद नहीं था। गन बाड़े से 250 मीटर दूर चिड़ियाघर अस्पताल में पड़ी हुई थी। घटना के दौरान कुछ शरारती तत्वों ने चिड़ियाघर में अफवाह फैला दी कि बाघ बाड़े से बाहर आ गया है। इससे चिड़ियाघर में अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे। एक घंटे तक यह स्थिति बनी रही। प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए चिड़ियाघर को बाहर से आने वाले लोगों के लिए बंद करा दिया और पर्यटकों को जानकारी दी गई कि बाघ बाहर नहीं आया है। चिड़ियाघर के निदेशक अमिताभ अग्निहोत्री ने पत्रकार वार्ता में सफाई दी कि इस मामले में चिड़ियाघर प्रशासन का कोई दोष नहीं है। युवक स्वयं बाड़े में कूदा था और उसे सुरक्षाकर्मी दो बार वहां से हटा चुका था। पर सुरक्षाकर्मी की नजर बचाकर वह बाघ के बाड़े में कूद गया। 210 किलो वजनी बाघ विजय की उम्र सात साल थी। चिड़ियाघर में छह साल पहले भी शेर के बाड़े में एक युवक कूद गया था। मगर शेर ने उस पर आक्रमण नहीं किया था।
तेंदुए ने ली महिला की जान:
देहरादून। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के जंगल में एक तेंदुए ने महिला पर हमला कर उसकी जान ले ली। वन विभाग के कर्मचारियों ने बताया सोमवार को मलेठा गांव निवासी 38 वर्षीय गुड्डी देवी जब जंगल में लकड़ियां बटोरने जा रही थीं, उसी दौरान झाड़ी में छिपे तेंदुए ने उन पर हमला बोल दिया।
दुनिया भर में फैली हादसे की खबर:
जेएनएन, नई दिल्ली। दिल्ली के चिड़ियाघर में घटी दर्दनाक घटना की खबर जंगल में आग की तरह देश के साथ-साथ दुनिया भर में फैली। विश्व के करीब-करीब सभी समाचार माध्यमों ने इसे प्रमुखता दी। सोशल मीडिया और खासकर ट्विटर पर भी यह हादसा छाया रहा। घटना का वीडियो यू ट्यूब पर लोड हुआ, लेकिन बाद में उसे हटा लिया गया। दरअसल कुछ लोगों ने विचलित करने वाली घटना के वीडियो के प्रसारण पर एतराज जताया था। कई लोगों ने इसके खिलाफ भी ट्वीट किए कि बाघ को हत्यारा बताया जा रहा है। उनकी नजर में गलती युवक की थी, न कि बाघ की।
चिड़ियाघर प्रबंधन की क्षमता और तत्परता पर भी सवाल उठे। लोगों ने इस पर हैरत जताई कि आखिर बाड़े की रेलिंग इतने नीचे क्यों थी कि अभागा युवक उसे पार कर गया? पर्यावरणविद और सैंक्चुअरी एशिया के संपादक बिंटटू सहगल का मानना है कि ट्रैंक्विलाइजर गन का समय रहते इस्तेमाल कर बाघ के बाड़े में गए युवक की जान बचाई जा सकती थी। शेर या बाघ के बाड़े में किसी के गिरने या कूद जाने की हालत में बचाव दल के पास तीन-चार मिनट का ही समय होता है।
बिंटटू सहगल के मुताबिक देश भर के चिड़ियाघरों की नियामक संस्था सेंट्रल जू अथॅारिटी है, लेकिन ज्यादातर चिड़ियाघर स्टॅाफ की कमी से जूझ रहे हैं। उन्होंने चिड़ियाघरों के मनोरंजन के ठिकाने बनते जाने पर चिंता जाहिर की। जादूगर पीसी सरकार ने हादसे के लिए बाघ को कसूरवार बताए जाने का विरोध किया। सरकार के पास एक समय तीन शेर थे और वे उनके घर पर ही रहते थे। इनमें से एक शेर तो उनके साथ 23 साल तक रहा।
देखें तस्वीरों में : दिल्ली जू कैसे बाघ ने बनाया युवक को शिकार