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हरियाणा के हर शख्‍स पर 32 हजार रुपये कर्ज!

हरियाणा में जब कांग्रेस पार्टी सत्‍ता में थी, तो उसका दावा था कि दूसरे राज्‍यों से कई मामलों में हरियाणा 'नंबर वन' है। लेकिन हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मानें तो हरियाणा नंबर वन राज्‍य नहीं है। पूर्व हुड्डा सरकार के सारे दावे खोखले हैं। इतना ही नहीं

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2015 09:59 AM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2015 10:10 AM (IST)
हरियाणा के हर शख्‍स पर 32 हजार रुपये कर्ज!

नई दिल्ली। हरियाणा में जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी, तो उसका दावा था कि दूसरे राज्यों से कई मामलों में हरियाणा 'नंबर वन' है। लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मानें तो हरियाणा नंबर वन राज्य नहीं है। पूर्व हुड्डा सरकार के सारे दावे खोखले हैं। इतना ही नहीं खट्टर का कहना है कि हरियाणा के हर शख्स पर 32 हजार रुपये कर्ज है। मुख्यमंत्री खट्टर और राज्य के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने सोमवार को श्वेत-पत्र जारी किया।

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बता दें कि श्वेत पत्र किसी सरकार का आधिकारिक दस्तावेज होता है। मौजूदा सरकार क्या करना चाहती है और पूर्व की सरकार ने क्या किया। श्वेत पत्र में इसका पूरा उल्लेख होता है। हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया कि सरकारी खजाने में पैसा नहीं है। बजट पेश करने से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एवं वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने सोमवार को श्वेत-पत्र जारी किया।

सीएम का कहना है कि बजट से पहले श्वेत पत्र का दूसरा भाग भी जारी होगा। श्वेत-पत्र में दिए आंकड़ों को अगर सही माना जाए तो पूर्व की हुड्डा सरकार के वे दावे भी सही नहीं है, जिसमें राज्य को औसत विकास दर, प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश आदि के क्षेत्र में नंबर-वन कहा गया था। 38 पेज का यह श्वेत-पत्र अंग्रेजी में है।

मुख्यमंत्री ने कहा राज्य पर 71 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है, जो 2014-15 में बढ़कर 81 हजार करोड़ से अधिक का हो जाएगा। आय के आंकड़े सही नहीं हैं। गुड़गांव में 2004-05 में प्रति व्यक्ति आय 81 हजार थी तो यमुनानगर में 32 हजार व महेंद्रगढ़ में 22 हजार।

खट्टर सरकार ने दावा किया है कि औसत विकास दर में हरियाणा पहले नहीं बल्कि दसवें नंबर पर है, जबकि पूर्व की सरकार यह ढिंढोरा पीटा करती थी कि प्रदेश नंबर-वन है। राज्य के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि पूर्व सरकार की लापरवाही की वजह से दस वर्षों में हरियाणा को 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है। प्रदेश में सकल घरेलू उत्पादन तो बढ़ा लेकिन इस अनुपात में राजस्व में बढ़ोतरी नहीं हुई। गुड्स एंड पैसेंजर टैक्स में कमी आई है।

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