गोदामों में भारी स्टॉक मगर गेहूं आयात जारी
सरकारी गोदामों में भारी स्टॉक होने के बावजूद निजी कंपनियां गेहूं का आयात कर रही हैं। पिछले दो-तीन महीने के भीतर ही साढ़े चार लाख टन गेहूं का आयात किया जा चुका है। यादातर आयातित गेहूं की मांग दक्षिणी रायों में हो रही है, जो ऑस्ट्रेलिया से मंगाया जा रहा
नई दिल्ली (सुरेंद्र प्रसाद सिंह)। सरकारी गोदामों में भारी स्टॉक होने के बावजूद निजी कंपनियां गेहूं का आयात कर रही हैं। पिछले दो-तीन महीने के भीतर ही साढ़े चार लाख टन गेहूं का आयात किया जा चुका है। यादातर आयातित गेहूं की मांग दक्षिणी रायों में हो रही है, जो ऑस्ट्रेलिया से मंगाया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष के दौरान आने वाले कुछ महीनों में आयातित गेहूं की खेप और बढ़ेगी, जो घरेलू जिंस बाजार को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। पिछले कई सालों के दौरान हुए आयात के मुकाबले गेहूं की यह मात्र सर्वाधिक है।
गेहूं आयात करने वाली प्रमुख कंपनियों में कारगिल इंडिया, केप फ्लोर मिल्स, सलेम फूड प्रोडक्ट्स और सीपी फूड्स के नाम शामिल हैं। दक्षिण भारत में सक्रिय इन प्रमुख कंपनियों के गेहूं आयात की मुख्य वजह घरेलू बाजार में अछी गुणवत्ता के गेहूं का अभाव माना जा रहा है। दरअसल पिछले साल गेहूं की कटाई के ठीक पहले ओलावृष्टि व भारी बारिश की वजह से फसल खराब हो गई थी। इससे गेहूं के दानों की चमक फीकी पड़ गई थी। इस प्राकृतिक आपदा का असर प्रमुख गेहूं उत्पादक राय पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में पड़ा था। दक्षिण भारत के रायों को ऑस्ट्रेलिया से आयात करना उत्तरी रायों से सड़क व ट्रेन के मार्फत गेहूं मंगाने के मुकाबले सस्ता भी पड़ता है।
ऑस्ट्रेलियाई गेहूं का मूल्य 260 से 265 डॉलर प्रति टन बैठ रहा है, जो घरेलू अनाज बाजार के मुकाबले सस्ता पड़ रहा है। घरेलू गोदामों में भारी स्टॉक को देखते हुए सरकार ने आयात को रोकने के लिहाज से ही गेहूं पर अगस्त में ही 10 फीसद का आयात शुल्क लगा दिया था। यह प्रावधान मार्च, 2016 तक लागू रहेगा। सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में ही गेहूं के आयात शुल्क से उसे कम से कम 90 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। इसके बावजूद अकेले अगस्त माह में ही घरेलू निजी कंपनियों ने 1.2 लाख टन गेहूं का आयात कर लिया था। वर्तमान में एक सितंबर को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) और राय एजेंसियों के पास कुल 3.44 करोड़ टन गेहूं का भारी स्टॉक है। इसमें से 2.8 करोड़ टन गेहूं का वह स्टॉक है, जिसे गुणवत्ता में ढील देकर अप्रैल से जून माह के दौरान खरीदा गया था। इस तरह के गेहूं का सर्वाधिक स्टॉक पंजाब और हरियाणा के किसानों से खरीदा था।
गेहूं की नई फसल के आने तक पूरे साल के लिए राशन प्रणाली पर खाद्यान्न बांटने के लिए कुल दो से 2.2 करोड़ टन अनाज की जरूरत होती है, जबकि खाद्य सुरक्षा के तहत बफर स्टॉक के बाबत 2.02 करोड़ टन अनाज चाहिए। सरकारी स्टॉक में एक करोड़ टन गेहूं अधिक है। वर्ष 2014-15 में गेहूं की पैदावार घटकर नौ करोड़ टन रह गई है। जबकि इसके पहले वाले फसल वर्ष में 9.58 करोड़ टन अनाज का उत्पादन हुआ था। गेहूं की घरेलू खपत 7.8 से 8 करोड़ टन गेहूं की खपत है।
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