ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ को कहा 'बाय-बाय', जानिए- भारत पर क्या होगा असर
यूरोपीय संघ के कानून के अनुसार, ब्रिटेन को एक अधिसूचना जारी करनी होगी। उसे बताना होगा कि वह संघ से बाहर आना चाहता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ को बाय-बाय करने का फैसला किया है। ऐतिहासिक जनमत संग्रह में लोगों का बहुमत ईयू से बाहर होने के पक्ष में गया। संघ में बने रहने के पैरोकार ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने जनता के इस फैसले के बाद अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। हालांकि, जनमत का सम्मान करते हुए उन्होंने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर आने की प्रक्रिया जल्द शुरू करने का भरोसा दिया।
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शुक्रवार को मैनचेस्टर टाउन हॉल में निर्वाचन आयोग के मुख्य गणना अधिकारी जेनी वाटसन ने जनमत संग्रह के नतीजों की घोषणा की। यूरोपीय संघ में बने रहने या बाहर आने के मुद्दे पर गुरुवार को जनमत संग्रह करवाया गया था। अब सोमवार को कैबिनेट की बैठक होगी और बाहर होने की समय सीमा तय की जाएगी।
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बुधवार को यूरोपीय संघ की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर आने वाला दूसरा देश है। ईयू छोड़ने वाला पहला देश ग्रीनलैंड था। ब्रिटेन के बाहर होने से यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की संख्या 27 रह जाएगी।
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पिछले कुछ दिनों से पूरा ब्रिटेन दो धड़ों में बंटा दिख रहा था। इस मुद्दे पर उम्र और क्षेत्र के हिसाब से भी विभाजन था। अधिकतर बुजुर्गो ने संघ से बाहर होने की इच्छा जताई, जबकि युवाओं और छात्रों का बहुमत संघ के साथ रहने का पक्षधर था।
भारतीय कंपनियों को नुकसान
ब्रिटेन में होने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारत की हिस्सेदारी अच्छी-खासी है। ब्रिटेन में सबसे अधिक निवेश करने के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। आर्थिक जानकारों का मानना है कि कई भारतीय कंपनियां ब्रिटेन में दूरगामी सोच के तहत निवेश कर रही थीं। यहां निवेश करने से उन्हें यूरोप का पूरा बाजार मिल रहा था। अब यह बाजार उनके लिए उपलब्ध नहीं रहेगा।
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मुक्त व्यापार समझौता अटकेगा
भारत पिछले कई सालों से यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने की कोशिश में लगा हुआ था। इसी साल मार्च के अंत में ब्रसेल्स में भारत और यूरोपीय संघ की शिखर वार्ता हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता को देखते हुए माना जा रहा था कि इस मुद्दे पर निकट भविष्य में समझौता हो सकता है।
कहा जा रहा था कि यूरोपीय संघ में ब्रिटेन के रहने से इस दिशा में तेजी से प्रगति होगी। लेकिन अब जब ब्रिटेन खुद यूरोपीय संघ से निकल रहा है, तो मुक्त व्यापार समझौते का भविष्य भी अधर में लटकता दिख रहा है।
लेकिन छात्रों को फायदा होगा
ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने से भारतीय छात्रों को फायदा होने की उम्मीद है। जानकारों का कहना है कि ईयू समझौते की वजह से ब्रिटिश शैक्षणिक संस्थाओं में यूरोपीय छात्रों को ज्यादा छात्रवृत्ति मिलती थी। अब भारत के छात्रों के लिए ब्रिटेन में पढ़ाई के अवसर बढ़ेंगे, क्योंकि उस पर यूरोपीय छात्रों के लिए कोई बाध्यता नहीं रह जाएगी।
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ब्रेक्जिट : बाहर आने के पक्षधर
ब्रिमेन : बने रहने के पक्षधर
12,69,501 वोटों का अंतर
ब्रेक्जिट के पक्ष में 1,74,10,742 वोट (51.89 फीसद)
ब्रिमेन के पक्ष में 1,61,41,241 वोट (48.11 फीसद)
अब आगे क्या होगा
- यूरोपीय संघ के कानून के अनुसार, ब्रिटेन को एक अधिसूचना जारी करनी होगी। उसे बताना होगा कि वह संघ से बाहर आना चाहता है।
- ईयू से बाहर आने की पूरी प्रक्रिया लगभग दो साल तक चलेगी। इसके बाद यूरोपीय संघ का कोई कानून उस पर लागू नहीं होगा।
- ब्रिटेन को बाहर आने की शर्तो पर ईयू के 27 सदस्य देशों के साथ वार्ता करनी होगी। शर्तो को लेकर हर देश के पास वीटो पावर होगा।
- सभी सदस्य देशों को अपनी संसद से भी मंजूरी लेनी होगी। किसी सदस्य देश की संसद पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतार सकती है।
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कहां-कहां होगा असर
शेयर बाजार :
वैश्विक मंदी गहराने का खतरा, निवेशकों के ज्यादा सुरक्षित विकल्प में जाने का खतरा
मुद्रा बाजार :
यूरोपीय मुद्राओं की तुलना में डॉलर के मजबूती की संभावना, रुपये में थोड़ी कमजोरी
अपेक्षित-निर्यात :
पहले से ही मंदीग्रस्त यूरोपीय देशों की स्थिति बिगड़ी तो निर्यात कम होगा, निर्यात लक्ष्य हासिल करना मुश्किल।
कारपोरेट :
ब्रिटेन में भारी निवेश करने वाली देशी आइटी, फार्मा, ऑटो कंपनियों के लिए मुश्किल समय
पर्यटन :
ब्रिटिश मुद्रा में गिरावट से जहां ब्रिटेन की यात्रा करना सस्ता होगा, वहां पढ़ाई करने की लागत भी कम आएगी।
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