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सात साल में आठ सुखोई दुर्घटनाग्रस्त, 29 सौ करोड़ का हुआ नुकसान

भारतीय वायुसेना के बेड़े में फरवरी 2017 तक कुल 230 सुखोई का शामिल किया गया और इसे जंग के मैदान में आईएएफ के लिए ‘बैक बोन’ माना जाता है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 01:31 PM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 03:05 PM (IST)
सात साल में आठ सुखोई दुर्घटनाग्रस्त, 29 सौ करोड़ का हुआ नुकसान
सात साल में आठ सुखोई दुर्घटनाग्रस्त, 29 सौ करोड़ का हुआ नुकसान

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। असम के तेजपुर वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरनेवाले आईएएफ विमान सुखोई 30 एमकेआई का अब तक कोई भी सुराग नहीं मिल पाया है। मंगलवार को दो पायलटों के साथ नियमित अभ्यास पर निकले इस विमान का संपर्क पौने दो घंटे बाद मंगलवार की सुबह ग्यारह बजे रेडार से टूट गया था। उसके बाद से लगातार इसकी तलाश की जा रही है। लेकिन, अभी तक कोई भी सफलता नहीं मिल पायी है। भारतीय सेना के जवान बड़ी ही सरगर्मी के साथ इसकी तलाशी में जुटे हुए हैं।

लापता सुखोई के सवाल पर भड़का चीन

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सुखोई 30 विमान की आखिरी लोकेशन चीन के बॉर्डर से सटे अरुणाचल प्रदेश के डौलासांग के इलाके में दर्ज की गई थी। बुधवार को जब पत्रकारों ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा कि क्या भारत में लापता हुए सुखोई विमान की खोज में चीन मदद करेगा इसके जवाब में भड़के ल्यू कांग ने उल्टा भारत को ही नसीहत दे डाली।

ल्यू ने कहा कि भारत से कहा कि वह दो पक्षों के बीच शांति बनाए रखने के लिए बनी व्यवस्थाओं का पालन करे। उन्होंने आगे कहा कि 'आप जिसका जिक्र कर रहे हैं, उस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने भारत-चीन सीमा विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि सबसे पहली बात यह है कि भारत-चीन पूर्वी सीमा के हिस्से पर चीन का रुख स्पष्ट है। उम्मीद है कि भारत दोनों पक्षों में बनी सहमति पर टिका रहेगा। सीमाई इलाकों में शांति और स्थिरता बिगाड़ने से बचेगा।

7 साल में आठ सुखोई विमान हादसे का शिकार

सुखोई को पहली बार साल 2002 में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था। सभी मौसम में मार करने में सक्षम और हवा से हवा और हवा से सतह में लक्ष्य को भेदने में बेहद कागरइ इस रूसी लड़ाकू विमान के पिछले सात सालों में जिस तरह आठवीं बार हादसे के शिकार होने की घटना सामने आ रही है उसके बाद इसने भारतीय वायुसेना के लिए चिंताएं बढ़ा कर रख दी है।

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360 करोड़ रूपये से ज्यादा का हुआ नुकसान

सुखोई विमान की अंतरराष्ट्रीय कीमत 358 करोड़ रूपये है। भारतीय वायुसेना के बेड़े में फरवरी 2017 तक कुल 230 सुखोई का शामिल किया गया और इसे जंग के मैदान में आईएएफ के लिए ‘बैक बोन’ माना जाता है। लेकिन, सबसे बड़ी चिंता बार-बार हो रहे हादसों से बाद उठना लाजिमी है।

कब-कब सुखोई हुआ हादसों को शिकार

देश में पहला सुखोई विमान हादसा 30 अप्रैल 2009 को पोखरण में हुआ जबकि दूसरा सुखोई हादसा राजस्थान के ही हादाभासी जैसलमेर क्षेत्र में 30 नवंबर 2009 को हुआ। जबकि, तीसरा सुखाई 13 दिसम्बर 2011 को में पुणे में फिर चौथा सुखोई 19 फरवरी 2013 को आयरन फीस्ट के अभ्यास के दौरान क्रैश हुआ जो जोधपुर से उड़ा था। 

पांचवां सुखोई अक्टूबर 2013 को पुणे में गिरा। उसके बाद छठा सुखोई 19 मई 2015 को असम में तेजपुर के पास गिरा। फिर 15 मार्च को एक सुखोई राजस्थान में गिरा और अब आठवां सुखाई विमान असम से उड़ान भरने के बाद गायब चल रहा है। सुखोई भारतीय वायुसेना के अंग्रिम पंक्ति का लड़ाकू जहाज है।

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विमान हादसों में आयी है कमी

सुखोई के लगातार हो रहे हादसों पर पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक ने Jagran.com से खास बातचीत में कहा कि यह कोई हैरानी की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि जब तक वायुसेना के लिए दूसरे लड़ाकू विमान नहीं आ जाते हैं तब तक सुखोई बैक बोन है लेकिन पिछले दशकों की तुलना में दुर्घटना होने के मामलों में काफी कमी आयी है।

70 के दशक में थी स्थिति ज्यादा खराब

वायुसेना के रिटायर्ड अफसर कपिल काक ने बताया कि 1970 के दशक में लड़ाकू विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले काफी ज्यादा थे। 1970 में करीब 50 विमान क्रैश हुए थे जबकि 1980 में इनकी संख्या 40 के असापास थी। जबकि, 1990 तक आते-आते वायुसेना के दुर्घटनास्त होने के मामलों में और कमी आयी ये संख्या 30 तक पहुंच गई। लेकिन, साल 2000 के बाद अब यह संख्या ग्यारह से बारह के बीच आ गई है।

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