कभी अमेरिका में एंट्री बैन करनेवाले ट्रंप के दिल में कैसे जगा मुस्लिम प्रेम
ट्रंप एक मात्र ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति है जिन्होंने अपनी विदेश यात्रा के लिए सऊदी अरब या किसी मुस्लिम बहुल देश को चुना है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब के साथ 110 अरब डॉलर के रक्षा समझौते को मंज़ूरी दी है। अमेरिकी इतिहास में पहली बार इसे अब तक की सबसे बड़ी डिफेंसी डील माना जा रही है। इसके साथ ही, ट्रंप एक मात्र ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति है जिन्होंने अपनी विदेश यात्रा के लिए सऊदी अरब या किसी मुस्लिम बहुल देश को चुना है।
ऐसे में सवाल उठता है कि अचानक अमेरिका का वह राष्ट्रपति जो लगातार आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम देशों को पूरे चुनावी कैंपेन के दौरान निशाना बनाता रहा, उसके दिल में यह अगाध प्रेम कैसे आ गया? क्या यह वाकई प्रेम है या फिर कोई छलावा?
राष्ट्रपति ट्रंप में रूख में यह बदलाव क्यों?
सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर रोक लगाने वाले राष्ट्रपति ट्रम्प ने मुस्लिम देशों के नेताओं के सामने सफाई दी और इस्लामी आतंकी संगठन आईएस के खिलाफ उनसे मदद भी मांगी। अफगानिस्तान में शांति के लिए उन्होंने पाकिस्तान से भी सहयोग मांगा। दरअसल, ट्रंप के बदले रूख पर इस तरह के सवाल इसलिए उठाए जा रहे हैं क्योंकि यूरोपीय देशों में जितने भी विस्फोट हुए उसके लिए ट्रंप ने मुस्लिमों को ही जिम्मेवार ठहराया था। ट्रंप लगातार निशाना साधते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे। लेकिन, जब यह बदला हुआ रूख लोगों के सामने आया है उसके बाद लोग उनकी इस रणनीति पर शक की निगाहों से देख रहे हैं।
अमेरिका-सऊदी हुई सबसे बड़ी डिफेंस डील
अमेरिका-अरब-मुस्लिम सम्मेलन का जो आयोजन सऊदी अरब ने किया। इस बहाने सऊदी अरब जहां सभी इस्लामी देशों को एकजुट करना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रपति ट्रंप ने भी अपनी छवि सुधारने का मंच बना लिया। सऊदी किंग सलमान ने सूडान के राष्ट्रपति ओमार अल-बशीर को भी निमंत्रण दिया था। बशीर ने आने से मना कर दिया। वह इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट द्वारा घोषित अपराधी हैं, उनकी गिरफ्तारी के वारंट जारी हैं।
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शिया और सुन्नी में बढ़ेगा तनाव
दरअसल, अमेरिका और सऊदी अरब में हुई अरबों डॉलर की डिफेंस डील को लेकर पूर्व भारतीय विदेश सचिव जी. पार्थसारथी ने जागरण डॉट कॉम से ख़ास बातचीतच में कहा कि इससे शिया और सुन्नी दोनों समुदायों के बीच पहले से जारी तनाव और बढ़ेगा और अशांति फैलेगी। पार्थसारथी का कहना है कि इसमें सबसे ख़ास बात भारत के लिए यह है कि वह हमेशा ऐसी कूटनीति से दूर रहता है और अभी भी उसने वहीं काम किया है।
आखिर क्या है अमेरिकी रणनीति?
पूर्व राजनयिक पार्थसारथी आगे कहते हैं कि भारत कभी भी पश्चिमी देशों के मतभेदों में नहीं पड़ता है वह चाहे बात- सऊदी अरब, ईरान, इजिप्ट और इजराइल की ही क्यों ना हो। अमेरिकी रणनीति के बार में पूछने पर पार्थसारथी बताते है कि अमेरिका एक दुनिया का महाशक्ति देश है। वह कहीं भी बड़ा परिवर्तन कर सकता है। लेकिन, ख़ास बात यह है कि सऊदी अरब में राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने स्पीच के दौरान आतंकवाद से प्रभावित होने वाले देशों में जहां उन्होंने भारत का भी नाम लिया है।
क्यो ट्रंप से बेहतर थी ओबामा की कूटनीति?
जी. पार्थसारथी मानते है कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की रणनीति डोनाल्ड ट्रंप के मामले में कही ज्यादा बेहतर थी और उसकी वजह थी उन देशों के साथ भी संबंध सामान्य बनाए रखना जिनके साथ तनाव चल रहा था। ऐसे में ट्रंप की इस बदली रणनीति को राजनीति के जानकार एक नई चाल के तौर पर देख रहे हैं।
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