सियाचीन में मौसम सामान्य, 9 सैनिकों को लेकर उड़ा सेना का हैलिकॉप्टर
सियाचिन में मौसम अब सामान्य हो गया है और बाकी बचे 9 जवानों को लेह लाने के लिए सेना का हैलिकॉप्टर उड़ गया है। यहां आए भूस्खलन में 10 जवानों शहीद हो गए थे। इनमें हनुमनथप्पा भी शामिल थे जिन्हें 3 दिनों बाद जिंदा निकाल लिया गया था लेकिन गुरुवार
जम्मू-कश्मीर। सियाचिन में मौसम अब सामान्य हो गया है और बाकी बचे 9 जवानों को लेह लाने के लिए सेना का हैलिकॉप्टर उड़ गया है। यहां आए भूस्खलन में 10 जवानों शहीद हो गए थे। इनमें हनुमनथप्पा भी शामिल थे जिन्हें 3 दिनों बाद जिंदा निकाल लिया गया था लेकिन गुरुवार को दिल्ली के आरआर हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया था।
सियाचिन में 20,500 फीट की ऊंचाई पर तीन फरवरी 2016 को आए हिमस्खलन में मद्रास रेजिमेंट के 10 जवान शहीद हो गए। सियाचिन विश्व का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है लेकिन यहां जवानों को दुश्मन के साथ-साथ मौसम से भी जूझना पड़ता है।
सियाचिन की ऊंचाई 22,000 फीट है (विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का ऊंचाई 29,000 फीट है) और तापमान न्यूनतम से 45 डिग्री सेल्सिस से कम तापमान है।
यहां ऑक्सीजन कम है, जिस वजह से सैनिकों की याद्दाश्त कमजोर होने की संभावना है। बोलने में दिक्कत, फेफड़ों में संक्रमण और अत्यधिक तनाव से भी जूझना पड़ सकता है। यहां बर्फ में लंबी दरारों की समस्या से भी जवानों को जूझना पड़ता है।
इन परिस्थितियों में सर्वाधिक बुनियादी वस्तुओं की आपूर्ति एक कठिन कार्य है। वहां कुछ चौकियों पर हेलीकॉप्टरों से ही जरूरी सामान पहुंचाया जाता है। सर्दियों के दिनों में भूमि मार्ग बंद होने की वजह से हल्के चीता हेलीकॉप्टर के जरिए ही खाद्य पदार्थो और गोला बारूद की आपूर्ति की जाती है।
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