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सोशल मीडिया पर विचारों की अभि‍व्‍यक्ति के खिलाफ नहीं: रविशंकर

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A का रद करने के फैसले का ज्‍यादातर लोगों ने स्‍वागत किया है, तो कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति भी जताई है। केंद्रीय संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि वह सोशल मीडिया पर विचारों की अभि‍व्‍यक्ति

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 24 Mar 2015 01:26 PM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2015 02:23 PM (IST)
सोशल मीडिया पर विचारों की अभि‍व्‍यक्ति के खिलाफ नहीं: रविशंकर

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A का रद करने के फैसले का ज्यादातर लोगों ने स्वागत किया है, तो कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति भी जताई है। केंद्रीय संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि वह सोशल मीडिया पर विचारों की अभिव्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन धारा 66A को जो रद करने का फैसला दिया गया है, हमें उसे पर आपत्ति है। वहीं याचिकाकर्ता श्रेया सिंघल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को कायम रखा है।

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सुप्रीम कोर्ट ने आज सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे अंसवैधानिक घोषित करते हुए रद कर दिया। रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'हम सोशल मीडिया पर लोगों विचारों की अभिव्यक्ति के विरूद्ध नहीं हैं। न ही हम इमानदारी से की गई आलोचना के खिलाफ हैं। लेकिन हमें इस बात की आपत्ति है कि धारा 66A को 19(1) और 19(2) से बाहर कर दिया गया है।'

न्यायालय ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि आईटी एक्ट की यह धारा संविधान के अनुच्छेद 19(1) A का उल्लंघन है, जोकि भारत के हर नागरिक को "भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार" देता है। कोर्ट ने कहा, धारा 66A अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का हनन है।

लेकिन शिवसेना सांसद संजय राउत का कहना है कि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, इसे रोकने के लिए कानून जरूरी है। उन्होंने कहा, 'एक लड़की पालघर में बालासाहेब के निधन के बाद अभद्र टिप्पणी करती है। क्या इसे सही कहा जा सकता है। मैं मानता हूं कि सोशल मीडिया का समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन इस बात में भी कोई दो राय नहीं है कि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए पुलिस के हाथ में इसके गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए कुछ शक्ति होना जरूरी है।'

बता दें कि एक लड़की ने शिवसेना नेता बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद फेसबुक पर मुंबई के लगभग ठप हो जाने पर सवाल खड़ा किया था। वहीं जबकि दूसरी लड़की ने इस कमेंट को लाइक किया था। इन दोनों को जेल की हवा खानी पड़ी थी।

याचिकाकर्ता श्रेया सिंघल ने इस फैसले को बड़ी जीत बताते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को कायम रखा है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का कार्टून सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के इल्जाम में जेल जा चुके अंबिकेश महापात्रा ने कहा कि यह आम आदमी और लोकतंत्र की जीत है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नागरिकों के मानव अधिकार सुरक्षित हो गए हैं।

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