भारत के संकट काल का साथी है रूस, हमेशा साथ देने को तैयार
रूस के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के करीबी सहयोगी ने रविवार को दावा किया कि अमेरिका और यूरोपीय देश कभी वह नहीं दे सकते जो रूस दे सकता है ।
नई दिल्ली, प्रेट्र। रूस ने दूसरी परमाणु पनडुब्बी लीज पर देने समेत भारत के साथ इसी माह 12 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे किए हैं। लेकिन उसे अभी भी भारत के साथ और ज्यादा सौदे होने की उम्मीद है। रूस का कहना है कि वह भारत का व्यापारिक साझीदार ही नहीं बल्कि एक ऐसा साथी है जिसने उसका साथ बड़े से बड़े संकट के समय भी दिया है।
रूस के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के करीबी सहयोगी ने रविवार को दावा किया कि अमेरिका और यूरोपीय देश कभी वह नहीं दे सकते जो रूस दे सकता है या देने को तैयार है। रूस की 700 हाईटेक सैन्य और असैन्य कंपनियों की मूल कंपनी रोसटेक स्टेट कारपोरेशन के सीईओ सर्गेई चेमेजोव ने कहा कि हम सिर्फ सबसे घातक और अहम हथियार ही नहीं देना चाहते बल्कि तकनीक देना भी जारी रखना चाहते हैं।
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दरअसल रूस की मंशा अब भारत के साथ कई अरब डॉलर की परियोजना पी75-आइ लपक लेने की है। इस परियोजना के तहत छह परंपरागत पनडुब्बियां बननी हैं जिसमें एयर इंडिपेंडेंट प्रपलजन सिस्टम भी होगा। इसी के अलावा भारत के लिए अगला विमान वाहक युद्धपोत भी बनना है। इस पोत के सौदे के साथ संयुक्त रूप से पांचवीं पीढ़ी के युद्धक विमान भी विकसित किए जाएंगे।
चेमेजोव ने कहा कि रूस व्यापारिक साझीदार नहीं बल्कि एक मित्र और साथी है। रूस ने भारत का सबसे मुश्किल समय में भी साथ दिया है। अगले साल हमारी मित्रता के सत्तर वर्ष हो जाएंगे। यह बहुत ही लंबा समय है। उन्होंने कहा कि रूस तब भी भारत के साथ था जब 1998 में परमाणु परीक्षणों के बाद उस पर दुनिया भर के देशों ने प्रतिबंध लगाए थे। तब हम बहुत हद तक भारत के अकेले साझीदार थे।
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