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प्लेटफॉर्म पर महज दो वॉटर वेंडिंग मशीनों से मचेगी मार

स्टेशनों पर वॉटर वेंडिंग मशीनें लगाने की रेलवे बोर्ड की नीति का यूनियनों ने मजाक उड़ाया है। उनका कहना है कि यदि नीति के हिसाब से वॉटर वेंडिंग मशीनें लगाई गई तो पानी के लिए यात्रियों में मार मचेगी और उनकी ट्रेनें छूट सकती हैं। रेल बजट में की गई घोषणा

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2015 09:09 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2015 09:20 PM (IST)
प्लेटफॉर्म पर महज दो वॉटर वेंडिंग मशीनों से मचेगी मार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। स्टेशनों पर वॉटर वेंडिंग मशीनें लगाने की रेलवे बोर्ड की नीति का यूनियनों ने मजाक उड़ाया है। उनका कहना है कि यदि नीति के हिसाब से वॉटर वेंडिंग मशीनें लगाई गई तो पानी के लिए यात्रियों में मार मचेगी और उनकी ट्रेनें छूट सकती हैं।

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रेल बजट में की गई घोषणा के अनुसार यात्रियों को उचित कीमत पर पीने का शुद्ध पानी (आरओ वॉटर) उपलब्ध कराने के लिए रेलवे ने स्टेशनों पर वॉटर वेंडिंग मशीने लगाने का निर्णय लिया है। इस बाबत रेलवे बोर्ड ने पिछले सप्ताह नीति और नियमों का एलान किया था। इनके अनुसार स्टेशनों के प्रत्येक प्लेटफॉर्म पर सामान्यत: एक या दो वॉटर वेंडिंग मशीनें लगाई जाएंगी। इससे अधिक मशीनें लगाने का निर्णय विशेष परिस्थितियों में ही किया जाएगा। मशीन लगाने वाली कंपनियों का चयन व निगरानी आइआरसीटीसी करेगी। रेलवे की यूनियनें इससे हैरान हैं। उनका कहना है कि यह नीति रेलवे बोर्ड अफसरों के मानसिक दिवालियापन का प्रतीक है। उसका जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं रह गया है।

रेलवे की प्रमुख यूनियन ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआइआरएफ) के एक पदाधिकारी के अनुसार प्रत्येक प्लेटफॉर्म पर दो वॉटर वेंडिंग मशीनों का प्रावधान मजाक है। स्टेशनों पर पेय जल का भारी संकट है। प्लेटफॉर्मों पर पीने के पानी की परंपरागत व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। गरीब यात्रियों के लिए पानी के बहुत कम नल बचे हैं। वॉटर वेंडिंग मशीनें लगाने का एलान इन्हीं यात्रियों की सहूलियत को ध्यान में रखकर किया गया है। एक-दो मशीनों से इनका काम नहीं चलने वाला। इससे पानी के लिए यात्रियों के बीच मारामारी मचेगी। खासकर तब जब ट्रेन किसी बीच के स्टेशन पर रुकेगी। जहां 5-10 मिनट का स्टापेज टाइम होता है। इससे कई यात्रियों की ट्रेन छूट सकती है। मशीन से पानी लेने में कुछ समय लगेगा। लिहाजा एक मशीन से 20-30 से ज्यादा यात्री पानी नहीं ले सकेंगे।

यूनियनों का मानना है कि मशीनों की संख्या कम रखे जाने के पीछे बोतलबंद पानी का धंधा करने वाली कंपनियों और वेंडरों का दबाव हो सकता है। इसी लॉबी के कारण ही प्लेटफॉर्मों पर पानी के नल अक्सर खराब या टूटे रहते हैं।


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