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सऊदी से लौटने के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय, मालिकों ने कह दिया है... 'वांटेड'

काफिलों द्वारा मतलूब यानि वांटेड घोषित कर दिए जाने के बाद भारतीय वर्कर के लिए स्‍वदेश वापसी काफी कठिन काम हो गया है अब उन्‍हें या तो अपने मालिकों की गुलामी सहनी होगी या फिर जेल की सजा काटनी होगी।

By Monika minalEdited By: Published: Thu, 22 Jun 2017 04:43 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jun 2017 04:45 PM (IST)
सऊदी से लौटने के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय, मालिकों ने कह दिया है...  'वांटेड'
सऊदी से लौटने के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय, मालिकों ने कह दिया है... 'वांटेड'

हैदराबाद (जेएनएन)। सऊदी अरब में तेलंगाना के ही नहीं बल्‍कि भारत के अन्‍य हिस्‍से के वर्कर्स के साथ भी अत्‍याचार किया जा रहा है। स्‍वदेश वापसी की चाहत रखने वाले तेलंगाना के वर्कर मुसीबत में हैं क्‍योंकि उन्‍हें उनके मालिकों द्वारा मतलूब यानि वांटेड घोषित कर दिया गया है जिसके कारण सऊदी एमनेस्‍टी के तहत स्‍वदेश वापसी की अनुमति के बावजूद उनका वहां से बाहर निकलना काफी मुश्‍किल है अब या तो उन्‍हें मालिकों की गुलामी सहनी होगी या फिर जेल में कैद भुगतना होगा।

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निजामाबाद, मेडक, करीमनगर, सिरसिल्‍ला और जगतियाल जिलों से 19 वर्कर्स को अब या तो काफिल के हाथों दर्द झेलना होगा या फिर उन्‍हें जेल भेज दिया जाएगा। जब काफिल (नियोक्‍ता) अपने वर्कर को ‘मतलूब’ घोषित कर देता है तो यह ऑनलाइन सिस्‍टम पर जानकारी आ जाती है और उसे सऊदी अरब से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है। काफिल को इसके लिए कारण भी बताने की जरूरत नहीं होती है कि वह वर्कर को क्‍यों वांटेड बता रहा है।

जगतियाल में गोल्‍लापल्‍ली मंडल के चिलवाकोदूर गांव के दासारी मधूसूदन ने एनआरआई मामलों के मंत्री केटी रामाराव के समक्ष गुहार लगायी है और कहा, ‘हम सऊदी में फंसे हैं। हमें काफिलों ने मतलूब घोषित कर दिया है इसलिए यहां से बच निकलने का भी कोई उपाय नहीं। कृपया सऊदी से बाहर आने में हमारी मदद करें।‘

वर्कर बेचैन हैं क्‍योंकि 25 जून तक उन्‍हें देश छोड़ने की प्रक्रिया को पूरा करना है। तीन माह की सऊदी एमनेस्‍टी 30 जून को समाप्‍त हो रही है। इस अवधि के दौरान एमनेस्टी के तहत अवैध तौर पर यहां रह रहे वर्कर हैं या फिर काम कर रहे वर्कर स्‍वदेश जा सकते हैं। यदि एमनेस्‍टी की इस सुविधा का उपभोग किया जाता है तो वर्कर काम करने वापस सऊदी अरब जा सकते हैं।

तेलंगाने के वर्कर सऊदी अरब में काफिलों के कारण फंसे हैं जिससे उन्‍हें स्‍वदेश वापसी की अनुमति नहीं मिल रही है। ये वर्कर हैं- दासारी मधूसूदन राव (जगतियाल), गदिला रमेश राव, डोडल राजेश्‍वर राव, सारंगी सयाना, जक्‍कानी तिरुपति, तालारी रामदास, दनेना चिन्‍ना बोर्रान्‍ना, मासापत्री राजू, लॉडिया रुपसिंह, लॉडिया बालाराम, नाडुपुला बक्‍कामा और भागे मारुति, राकुपलली श्रीनिवास और मोहम्‍मद जावेद, जिन्‍ना रामुलु और गोदुरी स्‍वामी, गोत्राला बालराज और अनिल। सऊदी अरब में भारतीय दूतावास इस परेशानी से अवगत है लेकिन देश के नियमों के आगे वह भी कुछ नहीं कर पा रही है।

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