Move to Jagran APP

मुझ पर है भरोसा, तभी तो अपेक्षा: नीतीश

ऐसा शायद ही होता है, जब जनता के साथ किसी मुख्यमंत्री की जुबान मिलती है। मगर बिहार में सत्ता की दूसरी पारी खेल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर मुस्कराते हुए कहते हैं- 'ये दिल मांगे मोर। संतुष्ट होने का सवाल कहां है?'

By Edited By: Published: Fri, 23 Nov 2012 10:03 PM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2012 10:06 PM (IST)
मुझ पर है भरोसा, तभी तो अपेक्षा: नीतीश

पटना [मधुरेश]। ऐसा शायद ही होता है, जब जनता के साथ किसी मुख्यमंत्री की जुबान मिलती है। मगर बिहार में सत्ता की दूसरी पारी खेल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर मुस्कराते हुए कहते हैं-ये दिल मांगे मोर। संतुष्ट होने का सवाल कहां है?

loksabha election banner

विशेष बातचीत में मुख्यमंत्री ने माना है कि जनता के अरमान बुलंदी पर हैं और इसी हिसाब से शासन की चुनौतियां भी बढ़ीं हैं। हमें और तेजी से काम करना होगा। उनकी बातों से जाहिर हुआ कि उन्होंने चुनौतियों को बेहद सकारात्मक अंदाज में लिया है। उन्होंने कहा-अरे, लोगों का मुझ पर भरोसा है, तभी तो अपेक्षा है। उन्होंने इस स्थिति को अपनी इस आदत से जोड़ लिया है कि मैं चुनौतियों को अवसर में बदलता हूं। गारंटी देते हैं, देखिएगा, हम इन मोर्चो को जीत लेंगे। इससे घबराना कैसा? जनता ने इसी काम के लिए तो हमें चुना है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, पहले कहां थी अपेक्षा? क्यों नहीं थी? खुद जवाब दिया, पहले वाले से जनता को उम्मीद ही नहीं थी।

आपके दोनों कार्यकाल में फर्क? थोड़ी चुप्पी के बाद बोले मुख्यमंत्री, बस मनोवैज्ञानिक फर्क है। लोग बड़े अरमान से हमारी तरफ देख रहे हैं। पिछला कार्यकाल बदलाव के लिए था। यह पूरा हुआ। दूसरा कार्यकाल काम के लिए है। मैं लोगों के बीच जाता हूं, उनसे जो फीडबैक आता है, उस लाइन पर काम करने में कोई कोताही नहीं बरतता हूं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ढेर सारे काम हुए हैं। कितना गिनाएं? भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति जब्त होनी शुरू हुई है। लोकसेवा अधिकार कानून के तहत अभी तक ढाई करोड़ लोगों ने विभिन्न तरह की सेवाएं प्राप्त की हैं। हम इसमें लगातार सुधार भी कर रहे हैं। कुछ सेवाओं के लिए ऑनलाइन व्यवस्था हुई है। बिहार भवन में दिल्ली व आसपास के बिहारियों के लिए सेवा प्रदान करने का इंतजाम किया गया है। आधारभूत संरचना के मामले में बहुत काम हुआ है। सद्भाव का माहौल है।

अन्य पक्ष:

- बड़ी-बड़ी चुनौती है। बिजली प्राथमिकता है। मैंने कह भी दिया है कि 2015 तक बिजली की स्थिति न सुधरी, तो वोट मांगने नहीं निकलूंगा।

- अरे, विपक्ष ने कुछ किया? ये लोग तो झगड़ा-झंझट के एक्सपर्ट हैं। डाह के मारे उनकी छाती फट रही है। ये लोग फिजूल में छाती पीट रहे हैं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.