बंटने से बच गया ब्रिटेन, कैमरन ने कहा-मैं बहुत खुश हूं
जिस जनमत संग्रह पर ब्रिटेन के साथ-साथ सारी दुनिया की नजर थी उसका फैसला आ गया है और स्कॉटलैंड आजाद होने नहीं जा रहा है। ब्रिटेन के साथ बने रहने का फैसला खुद स्कॉटलैंड के लोगों ने किया है। ऐतिहासिक जनमत संग्रह में स्कॉटलैंड के निवासियों ने ब्रिटेन के 307 साल पुराने साथ को बनाए रखने के पक्ष में वोट दिया।
लंदन। जिस जनमत संग्रह पर ब्रिटेन के साथ-साथ सारी दुनिया की नजर थी उसका फैसला आ गया है और स्कॉटलैंड आजाद होने नहीं जा रहा है। ब्रिटेन के साथ बने रहने का फैसला खुद स्कॉटलैंड के लोगों ने किया है। ऐतिहासिक जनमत संग्रह में स्कॉटलैंड के निवासियों ने ब्रिटेन के 307 साल पुराने साथ को बनाए रखने के पक्ष में वोट दिया। इस नतीजे से पूरे ब्रिटेन में खुशी का माहौल है और आजादी समर्थकों की मायूसी के बीच कई जगह लोग जश्न मना रहे हैं। स्कॉटलैंड की आजादी की मांग को लेकर कराए गए जनमत संग्रह में आधे से ज्यादा लोगों ने 'नहीं' पर वोट दिया। जनमत संग्रह में कुल 84.6 फीसद लोगों ने वोट दिया। आजादी के खिलाफ 55.3 फीसद और समर्थन में 44.7 फीसद मत पड़े। यह अंतर अंतिम चुनावी सर्वेक्षणों से काफी ज्यादा रहा। कुल 32 में से 28 निकायों में नतीजा आजादी के खिलाफ रहा, जबकि चार निकायों ने इसका समर्थन किया। जनमत संग्रह से ठीक पहले बहुत से लोगों ने अपना मन बदला और उन्होंने ब्रिटेन से अलग होने को जोखिम माना।
जनमत संग्रह का परिणाम आते ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा, 'लाखों लोगों की तरह मैं भी बहुत खुश हूं। मुझे ग्रेट ब्रिटेन के बंटने से बहुत दुख होता।' इस फैसले से इंग्लैंड समेत पूरे ब्रिटेन के लिए एक संतुलित संविधान का रास्ता साफ हुआ है। उन्होंने स्कॉटलैंड को नई शक्तियां देने का भरोसा देते हुए एकजुटता की अपील की। स्कॉटलैंड सरकार के फर्स्ट मिनिस्टर(प्रमुख) एलेक्स सेलमंड ने हार स्वीकार करते हुए एकजुटता की अपील की और जनमत संग्रह को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की जीत बताया।
स्कॉटलैंड के सबसे बड़े शहर ग्लासगो में आजादी के पक्ष में 53 फीसद वोट पड़े। इसके साथ डंडी, वेस्ट डनबार्टनशायर और नार्थ लानार्कशायर ने भी आजादी के पक्ष में वोट दिया। वहीं राजधानी एडिनबर्ग समेत 26 काउंसिल ने आजादी की मांग के खिलाफ वोट दिया। आजादी के पक्ष में 16,17,989 वोट डाले गए, जबकि विपक्ष में 20,01,926।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और स्कॉटलैंड सरकार के प्रमुख एलेक्स सेलमंड के बीच अक्टूबर, 2012 में इस जनमत संग्रह पर सहमति बनी थी। इससे पहले 1979 और 1997 में भी स्कॉटलैंड के अधिकारों को लेकर जनमत संग्रह कराया जा चुका है। जनमत संग्रह में लोगों से सीधा सवाल पूछा गया था 'क्या स्कॉटलैंड को आजाद होना चाहिए?' मतदाता को 'हां' या 'नहीं' में से एक विकल्प का चयन करना था। इस जनमत संग्रह के लिए 2,608 मतदान केंद्रों पर 42,85,323 लोगों को पंजीकृत किया गया था।
दो साल से जारी खींचतान का अंतस्कॉटलैंड को ब्रिटेन से अलग कर आजाद राष्ट्र बनाने के लिए ब्लेयर जेनकिंस की अगुवाई में मई, 2012 में 'यस स्कॉटलैंड' के नाम से अभियान की शुरुआत की गई थी। ब्लेयर स्कॉटिश टेलीविजन के पूर्व प्रसारण निदेशक थे। इस अभियान को स्कॉटिश नेशनल पार्टी का भी समर्थन प्राप्त था। दूसरी ओर जून, 2012 में पूर्व वित्त मंत्री एलिस्टेयर डार्लिंग की अगुवाई में स्कॉटलैंड को ब्रिटेन का हिस्सा बनाए रखने के लिए 'बेटर टुगेदर' अभियान चलाया गया। इस अभियान को कंजर्वेटिव पार्टी, लेबर पार्टी और लिबरल डेमोक्रेट्स का समर्थन हासिल था।
होटल, बार और पब हो गए मालामालस्कॉटलैंड पर जनमत संग्रह के चलते होटल, बार और पब मालामाल हो गए हैं। जनमत संग्रह का गवाह बनने दुनिया भर से हजारों पत्रकार एवं पर्यटक स्कॉटलैंड आए हैं। शहर परिषद के प्रमुख एंड्रू बर्न्स ने कहा कि हमने एडिनबर्ग में इतनी भीड़ पहले कभी नहीं देखी। सारे होटल भरे हुए हैं। बाहर से आ रहे लोग यहां पैसा खर्च कर रहे हैं, जिससे स्कॉटिश कारोबारियों को फायदा पहुंचा है।