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थैंक्यू ओबामा अंकल

चार साल पहले अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मुझसे कहा था कि कभी पढ़ाई मत छोडऩा, चाहे जितना संघर्ष करना पड़े। पिछले चार साल से ये शब्द मेरे दिलो-दिमाग में घूम रहे हैं। ये शब्द ही मेरे प्रेरणास्रोत हैं। ये मुझे लक्ष्य तक पहुंचाएंगे। थैंक्स ओबामा अंकल। इतना कहकर

By Sachin kEdited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 06:11 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 06:17 AM (IST)
थैंक्यू ओबामा अंकल

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। चार साल पहले अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मुझसे कहा था कि कभी पढ़ाई मत छोडऩा, चाहे जितना संघर्ष करना पड़े। पिछले चार साल से ये शब्द मेरे दिलो-दिमाग में घूम रहे हैं। ये शब्द ही मेरे प्रेरणास्रोत हैं। ये मुझे लक्ष्य तक पहुंचाएंगे। थैंक्स ओबामा अंकल। इतना कहकर विशाल भावुक हो जाता है। वही विशाल अहिरवार (16) जिससे मंगलवार को सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा चार साल बाद दोबारा मिले।

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विशाल की आंखों में चमक व चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी, लेकिन गला रुंधा था। शायद खुशी की वजह से वह अपने भाव नहीं व्यक्त कर पा रहा था। कुछ देर की खामोशी के बाद उसने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने मुझे याद रखा, मेरा हौसला बढ़ाया, मुझे नाम लेकर पुकारा, यह मेरा सौभाग्य है। मैंने तो सोचा भी नहीं था कि उनसे दोबारा मुलाकात होगी। उन्होंने मेरे साथ फोटो खिंचवाई और पूछा कि तुम आगे चलकर क्या बनना चाहते हो, मैंने कहा कि सेना में जाना चाहता हूं। उन्होंने मुझे शुभकामनाएं दीं। मुझे और मेरे घरवालों को ऑटोग्राफ व उपहार भी दिए।

विशाल को जेहन से वही तारीख (7 नवंबर 2010) धूमिल नहीं हुई है, जब उसने हुमायूं के मकबरे में बराक व मिशेल ओबामा से मुलाकात की थी। उसे जब यह पता चला कि ओबामा उससे दोबारा मिलना चाहते हैं तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ। अमेरिकी दूतावास ने उसे दो सप्ताह पहले ही इस बात की जानकारी दे दी थी। सुरक्षा कारणों से यह बात गोपनीय रखी गई थी।


ओबामा व्हाइट हाउस में लगाएंगे शिवलिंग
विशाल के पिता रामदास भी चार साल पहले हुई मुलाकात को याद करते नहीं थकते। उन्होंने उज्जैन से लाया हुआ शिवलिंग ओबामा को भेंट किया। ओबामा ने कहा कि वह इसे व्हाइट हाउस में लगाएंगे।

हमेशा याद रहेंगे पल
विशाल की बहन खुशबू (19) ने बताया कि वह वर्ष 2010 में ओबामा से नहीं मिल पाई थी। इस बार उसे मौका मिल गया। उनके साथ बिताए गए पल हमेशा याद रहेंगे। आर्थिक तंगी के कारण पिता ने खुशबू को उसे मामा के पास बांदा (उत्तर प्रदेश) भेज दिया था, जहां वह बचपन से रहती है। वह बीए की पढ़ाई कर रही है। विशाल की मां गीता कहती है कि ओबामा ने मेरे बेटे का नाम लिया, यह पूरी दुनिया ने देखा। मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा भी ओबामा की तरह कामयाबी पाए और पूरी दुनिया में उसका नाम हो।

11वीं में पढ़ता है विशाल
विशाल फरीदाबाद के दयालबाग स्थित सेंट कोलंबस स्कूल में 11वीं (विज्ञान) में पढ़ता है। उसकी मेहनत व व्यवहार कुशलता से शिक्षक भी प्रभावित हैं। दक्षिणी दिल्ली में मोलड़बंद गांव में वह मां के साथ रहता है। पिता रामदास झांसी के रहने वाले हैं और उज्जैन में एक ठेकेदार के यहां मिस्त्री (स्टोन कटर) का काम करते हैं। उन्हें 400 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं। आर्थिक तंगी के कारण विशाल अपने घर से ढाई किलोमीटर दूर स्थित स्कूल पैदल आता-जाता है। उसके 10वीं में अच्छे नंबर आए थे। नरेंद्र झांसी में मिस्त्री का काम करता है।

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