वीरभद्र बोले, 30 सीटें दो वर्ना छोड़ देंगे कांग्रेस
हिमाचल विधानसभा चुनावो के मद्देनजर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस आलाकमान पर दबाव की रणनीति का जो पांसा फेंका था, वह काम करता दिख रहा है। वीरभद्र ने पार्टी में अपनी अनदेखी के चलते आलाकमान को संदेश पहुंचाया था कि वह अपने 12 मौजूदा विधायकों व समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो रहे हैं।
शिमला [रचना गुप्ता]। हिमाचल विधानसभा चुनावो के मद्देनजर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस आलाकमान पर दबाव की रणनीति का जो पांसा फेंका था, वह काम करता दिख रहा है। वीरभद्र ने पार्टी में अपनी अनदेखी के चलते आलाकमान को संदेश पहुंचाया था कि वह अपने 12 मौजूदा विधायकों व समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो रहे हैं। इसके बाद शुक्रवार को आलाकमान की ओर से दिग्विजय सिंह को वीरभद्र से मुलाकात के लिए भेजा गया।
सूत्रों के मुताबिक, दिग्विजय ने वीरभद्र सिंह से कोई कड़वा फैसला न लेने को कहा। लेकिन दिग्विजय से वीरभद्र ने साफ कह दिया है कि उन्हें विधानसभा चुनाव में 30 सीटें दी जाएं। आलाकमान की ओर से 20 से 25 सीटें दिए जाने की बात कही गई, लेकिन वीरभद्र 30 सीटों पर अड़े हैं। सिंह ने कहा कि उन्हें आश्वासन सोनिया गांधी से चाहिए, दिग्विजय से नहीं।
वीरभद्र सिंह ने दिग्विजय से दो टूक कह दिया है कि 'मुझे कांग्रेस हिमाचल में यूज नहीं कर सकती। एक हफ्ते के भीतर मेरे समर्थकों के 30 टिकटों पर फैसला नहीं होता तो मैं पार्टी छोड़ दूंगा। शरद पवार की एनसीपी से विस्तृत बात हो चुकी है।' दरअसल, ऐसा तो नहीं है कि हिमाचल में कांग्रेस सिर्फ वीरभद्र की वजह है, लेकिन वे अनुभवी और जनाधार वाले नेता हैं, यदि वे एनसीपी में जाते हैं तो इससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगेगा।
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