हिंसक प्रदर्शनों ने चौपट की कश्मीर की अर्थव्यवस्था
यह जानकारी मंगलवार को विधानसभा में जारी वर्ष 2016 की आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सामने आई है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। कश्मीर में पांच माह तक चले हिंसक प्रदर्शनों ने रियासत की अर्थव्यवस्था चौपट कर दी है। इस दौरान सोलह हजार करोड़ रुपये की चपत लगी। हर दिन की हड़ताल से कश्मीर को रोजाना करीब सवा सौ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा। पर्यटन पर आश्रित काम धंधे प्रभावित होने से हजारों लोग भुखमरी की चपेट में आए गए, जबकि 130 दिन की हड़ताल से उद्योग जगत की कमर टूट गई। 13 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। विकास की गति भी रुक गई। विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लग गया। यह जानकारी मंगलवार को विधानसभा में जारी वर्ष 2016 की आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में सामने आई है।
कश्मीर के हालात के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने की होड़ के चलते यह रिपोर्ट बजट पेश होने से एक दिन पहले वित्त मंत्री हसीब द्राबू ने सदन में पेश की। पर्यटन सीजन में कश्मीर में प्रदर्शनों से होटल, रेस्तरां, हाउस बोट, शिकारा वाले, दुकानदारों को नुकसान हुआ। पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इस बार पर्यटन के राजस्व में 185 लाख रुपये की कमी आई। खराब माहौल का सबसे अधिक नुकसान उद्योग को हुआ।
हड़तालों से 13291 करोड़ का नुकसान हुआ, जिसमें से 6548 करोड़ निजी व 6713 करोड़ सरकारी क्षेत्र में नुकसान हुआ। जम्मू के उद्योग को 1800 करोड़ का नुकसान हुआ। प्रदर्शनों के कारण शिक्षा भी पटरी से उतर गई। 50 फीसद सिलेबस पूरा नहीं हो सका। शिक्षा का बुनियादी ढांचा देशविरोधी तत्वों का निशाना बना व कुल मिलाकर 31 स्कूल भवन आग की भेंट चढ़ा दिए गए। वहीं, 15 स्कूलों को उनके चौकीदारों, शिक्षा विभाग के कर्मियों व स्थानीय लोगों ने बचा लिया। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पढ़ाई के 130 दिन जाया हो गए। इससे सिलेबस व विद्यार्थियों के भविष्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा। रोज कमाकर खाने वालों को तो खाने के लाले पड़ गए। दुकानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले 93 लाख कर्मचारियों को 168 करोड़ का नुकसान हुआ। अपना काम धंधा करने वालों का नुकसान 276 करोड़ के करीब था।
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