विजिलेंस के शिकंजे में आ ही गए अनुराग, दो एफआईआर दर्ज
धर्मशाला। हमीरपुर के सांसद और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के खिलाफ हिमाचल प्रदेश विजिलेंस ब्यूरो ने वीरवार को दो मामले दर्ज किए हैं। पहला मामला धर्मशाला के पास कालापुल में 32 मरले यानी डेढ़ कनाल ऐसी जमीन खरीदने पर दर्ज हुआ है जिसे बेचा ही नहीं जा सकता था। अनुराग ने इस जमीन की पॉवर ऑफ अटॉर्नी अपने
धर्मशाला। हमीरपुर के सांसद और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के खिलाफ हिमाचल प्रदेश विजिलेंस ब्यूरो ने बृहस्पतिवार को दो मामले दर्ज किए हैं। पहला मामला धर्मशाला के पास कालापुल में 32 मरले यानी डेढ़ कनाल ऐसी जमीन खरीदने पर दर्ज हुआ है जिसे बेचा ही नहीं जा सकता था। अनुराग ने इस जमीन की पॉवर ऑफ अटॉर्नी अपने छोटे भाई अरुण धूमल के नाम पर बनवाई है जो कागजों में अरुण सिंह के नाम से दर्ज है। अरुण के खिलाफ भी विजिलेंस ने प्राथमिकी दर्ज की है।
विजिलेंस का कहना है कि 1992 में यह जमीन किसी ग्रामीण प्रेमू सिंह के नाम पर सरकार से अलॉट हुई। बीस जून, 1993 को उसके नाम इंतकाल यानी म्यूटेशन भी हुई। इंतकाल में पटवारी ने दर्ज किया कि प्रेमू सिंह इस जमीन को पंद्रह साल तक नहीं बेच सकेगा। एसपी विजिलेंस विमल गुप्ता के अनुसार, अनुराग ठाकुर और उनके भाई ने राजस्व अधिकारियों को दबाव में लेकर या प्रलोभन देकर 14 साल छह माह में ही खरीद ली। इस प्रकरण में अनुराग ठाकुर और उनके भाई अरुण सिंह के साथ-साथ कई राजस्व अधिकारियों पर भी मामला दर्ज हुआ है जिनके नाम अभी विजिलेंस ने उजागर नहीं किए हैं। उनके खिलाफ जालसाजी के खिलाफ अन्य धाराएं भी लगाई गई हैं।
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दूसरा मामला में प्राथमिकी का कारण एचपीसीए द्वारा स्टेडियम के लिए ली गई जमीन के साथ लगी डेढ़ कनाल जमीन पर अवैध कब्जे का है। यह जमीन पहले शिक्षा विभाग के नाम थी और इस पर अध्यापकों के टाइप -4 मकान भी थे लेकिन उन्हें अनसेफ घोषित कर हटा दिया गया। विजिलेंस के अनुसार, ऐसा कोई लिखित आदेश नहीं मिला है जिसमें यह सामने आए कि किसके आदेश से कब और कौन इस जमीन को एचपीसीए के लिए समतल कर गया। इस मामले में सरकारी संपत्ति को कब्जाने के अलावा कई धाराएं लगाई हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बीसीसीआई के संयुक्त सचिव भी हैं। उनके और सरकार के बीच कई दिन से वाकयुद्ध जारी था। इससे पहले पंजायक सहकारी सभाएं ने भी एचपीसीए को नोटिस देकर पूछा है कि सोसायटी एक्ट में पंजीकृत एचपीसीए कंपनी में कैसे बदल गई।
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