इस बार वृंदावन की बहनों के साथ होली खेलेंगी वाराणसी की विधवाएं
भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के स्थान वृंदावन में यह पहला मौका होगा, जब वाराणसी की विधवाएं हिंदू परंपराओं के विपरित वृंदावन के पागल बाबा आश्रम जाकर अपनी बहनों के साथ यह त्यौहार मनाएंगी।
लखनऊ। वृंदावन और वाराणसी के वृद्धाश्रमों में एकांत जीवन जी रही हजारों विधवाएं इस बार विशेष तौर पर चार दिन तक रंगों का त्यौहार होली मनाने जा रही हैं। भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के स्थान वृंदावन में यह पहला मौका होगा, जब वाराणसी की विधवाएं हिंदू परंपराओं के विपरीत वृंदावन के पागल बाबा आश्रम जाकर अपनी बहनों के साथ यह त्यौहार मनाएंगी।
गैर सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल के अनुसार, इन विधवा माताओं और बहनों के होली खेलने के लिए कई रंगों के 1 हजार किलो गुलाल और डेढ़ हजार किलो गुलाब और गेंदे के फूलों की पंखुडि़यों की व्यवस्था की गई है।
संगठन के मुताबिक, होली का यह त्यौहार काफी धूमधाम के साथ शुरू हुआ है, जिसमें संगीत और नृत्य प्रदर्शन भी शामिल हैं। यह उत्सव उस सामाजिक कलंक के वर्षोंं के मिथक के टूटने जैसा है, जिसमें अपने पतियों को खो चुकी महिलाएं होली नहीं खेल सकतीं।
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