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उत्‍तराखंड की ब्रांड एंबेसडर कविता बिष्‍ट को चंदा जुटाकर करना पड़ा पिता का अंतिम संस्‍कार

उत्‍तराखंड नारी सशाक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर कविता बिष्‍ट को पिता का अंतिम संस्‍कार चंदा जुटकार करना पड़ा। सरकार या प्रशासन से कोई मदद तक नहीं मिला।

By sunil negiEdited By: Published: Sun, 29 May 2016 03:24 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 07:30 AM (IST)
उत्‍तराखंड की ब्रांड एंबेसडर कविता बिष्‍ट को चंदा जुटाकर करना पड़ा पिता का अंतिम संस्‍कार

देहरादून। उत्तराखंड नारी सशाक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर कविता बिष्ट को पिता का अंतिम संस्कार चंदा जुटकार करना पड़ा। सरकार या प्रशासन से कोई मदद तक नहीं मिला। मजबूरन कविता आस-पड़ोस से सात हजार रुपये उधार लेकर बीमार मां को लेकर पिता की तेरहवीं कराने अल्मोड़ा के पैतृक गांव रवाना हो गई।

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एसिड अटैक की शिकार कविता बिष्ट 23 सितंबर 2013 से राज्य महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर है। मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के करल ( बग्वालीपोखर) गांव की रहने वाली कविता मां दीपा बिष्ट, छोटे भाई मनोज बिष्ट और पिता दीवान बिष्ट के साथ हल्द्वानी स्थित आवास विकास में किराये के मकान में रहती है। रोडवेज में चालक रहे दीवान बिष्ट की बीती 20 मई को हार्ट अटैक से मौत हो गई। चंदे की राशि से उसी शाम दीवान सिंह की अंत्येष्टि की गई। अगले दिन पिता की तेरहवीं के लिए कविता भाई, मां व गांव से आए ताऊ के साथ गांव करल रवाना हो गई। इस संबंध में डीएम दीपक रावत ने कहा कि मुझे कविता की सेलरी रुकने की कोई जानकारी नहीं है। संबंधित विभाग से जानकारी ली जा रही है।

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तीन महीने से नहीं मिला मानदेय
आर्थिक तंगी से जूझ रही कविता को कठघरिया (हल्द्वानी) निवासी एनडी भट्ट ने चार हजार और कविता की मकान मालिक ने तीन हजार रुपये देकर गांव के लिए रवाना किया। 20 मई को जब लोगों ने 15 हजार रुपये चंदा दिया, तब जाकर दीवान सिंह की अर्थी उठ पाई। बता दें कि कविता निर्भया सेल में अनुसेवक के पद पर कार्यरत है। उन्हें 21 हजार रुपये सेलरी मिलती है। कविता ने बताया कि उन्हें तीन माह से सेलरी नहीं मिली है।

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