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यूपी फिर बना आतंक की पनाहगाह

चुनावी और सांप्रदायिक धु्रवीकरण के बीच आतंकियों की नई सक्रियता सुरक्षा एजेंसियों की सबसे बड़ी चुनौती है। आतंकियों के यूपी-बिहार-झारखंड कनेक्शन मजबूत होने से उनके मंसूबों की राह आसान हुई है। इन राज्यों में आतंकवाद पर सरकारी सुस्ती भी भारी पड़ रही है। यूपी-नेपाल सीमा पर घुसपैठ की आजादी से इनको प

By Edited By: Published: Wed, 30 Oct 2013 02:20 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2013 02:20 AM (IST)
यूपी फिर बना आतंक की पनाहगाह

लखनऊ, [आनन्द राय]। चुनावी और सांप्रदायिक धु्रवीकरण के बीच आतंकियों की नई सक्रियता सुरक्षा एजेंसियों की सबसे बड़ी चुनौती है। आतंकियों के यूपी-बिहार-झारखंड कनेक्शन मजबूत होने से उनके मंसूबों की राह आसान हुई है। इन राज्यों में आतंकवाद पर सरकारी सुस्ती भी भारी पड़ रही है। यूपी-नेपाल सीमा पर घुसपैठ की आजादी से इनको पनाह और पलायन की सुविधाएं मुहैया हो रही हैं।

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कानपुर में चूकने के बाद इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों ने पटना में भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैली में धमाके किए तो उनके मंसूबे साफ थे। सुरक्षा एजेंसियों को यह जताना चाहते थे कि उनकी ताकत खत्म नहीं हुई है। रांची से लेकर यूपी तक उनका कनेक्शन इस अभियान में सक्रिय था। उनकी हिमाकत आइएम के सह संस्थापक यासीन भटकल और असदुल्लाह हड्डी की गिरफ्तारी की यह प्रतिक्रिया भी थी। अब सुरक्षा की तैयारियों और आइबी के इनपुट से यह साफ संकेत है कि उनका अगला निशाना बहराइच की मोदी की रैली है।

ताकत का अहसास कराने की आइएम की मुहिम में जेलों से फरार आतंकी भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। सोमवार को नेपाल बार्डर पर यूपी के बहराइच जिले के रुपईडीहा से मुंबई और यूपी की एटीएस ने मुंबई से फरार अफजल उस्मानी को भले गिरफ्तार कर लिया, लेकिन खतरा टला नहीं है। अफजल उस्मानी के बहराइच में पनाह लेने के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां पता लगाने में जुटी हैं कि कहीं मोदी की रैली में गड़बड़ी का मिशन अफजल उस्मानी को ही तो नहीं सौंपा गया था।

एटीएस सूत्रों का कहना है कि नेपाल में रहकर सक्रिय भूमिका निभा रहे बिहार के तहसीन अख्तर उर्फ मोनू ने उसे खास जिम्मेदारी की वजह से नेपाल बार्डर के करीब रखा। मऊ जिले के मूल निवासी और आजमगढ़ के असदुल्लाह हड्डी आदि के करीबी रहे अफजल के फरारी की साजिश आइएम ने ही बनाई थी। मध्यप्रदेश की खंडवा जेल से एक अक्टूबर को छह कैदियों को फरार करने में भी आइएम की ही भूमिका रही है। आइएम ने इन सबके लिए खास टारगेट निर्धारित किए हैं। अफजल और खंडवा से फरार आतंकियों का अहमदाबाद धमाकों के अलावा और भी कई जगह एक दूसरे के साथ काम करने का अनुभव है। तहसीन से भी उसके पुराने रिश्ते हैं। पाकिस्तान में रह रहे रियाज भटकल और वकास का भी मार्ग दर्शन इन्हें मिल रहा है।

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