अमेरिकी विशेषज्ञ झारखंड को पानी की समस्या से दिलाएंगे निजात
मिशन ब्लू् और अमेरिका में पानी बचाने के वैज्ञानिक तरीकों पर काम कर रहे प्लांट ग्रुप ने रांची सहित पूरे राज्य में पानी की उपलब्धता पर बड़ा सर्वे करने का समझौता किया है।
रांची। गर्मी के दिनों में झारखंड में पानी की दिक्कत लोगों की बड़ी समस्या है। इस दिक्कत को दूर करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। झारखंड में जल संरक्षण की दिशा में काम कर रही संस्था मिशन ब्लू् और अमेरिका में पानी बचाने के वैज्ञानिक तरीकों पर काम कर रहे प्लांट ग्रुप ने रांची सहित पूरे राज्य में पानी की उपलब्धता पर बड़ा सर्वे करने का समझौता किया है। पिछलें दिनों न्यूयार्क में मिशन ब्लू के अध्यक्ष पंकज सोनी के साथ प्लांट ग्रुप के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। झारखंड में पानी की उपलब्धता इसके संरक्षण और पानी बचाने को लेकर चल रहे जागरूकता अभियानों से प्लांट ग्रुप को अवगत कराया। प्लांट ग्रुप के सह संस्थापक ऑस्टिन एरिंग्टन ने मिशन ब्लू के कार्यों की जानकारी लेने के बाद अपनी टीम रांची भेजने का प्रस्ताव दिया।
मई में 20 दिनों के लिए आएगी टीम : प्लांट ग्रुप के बिल वेनर और ऑस्टिन एरिंग्टन मई में रांची आएंगे। इस दौरान टीम पूरे राज्य का दौरा करेगी। टीम करीब 20 दिनों तक यहां रहेगी और राज्य में पानी की उपलब्धता और उचित प्रबंधन पर अध्ययन करेगी।
होगा स्वायल टेस्ट भी : प्लांट ग्रुप कृषि में मॉडर्न टेक्नोलॉजी को शामिल करने के लिए जाना जाता है। इस ग्रुप ने पूरे अमेरिका में स्वायल टेस्ट के माध्यम से खेती के लिए पानी के उचित इस्तेमाल पर शोध कर हर रोज लाखों गैलेन पानी बर्बाद होने से बचाने का खाका तैयार किया है। यही काम झारखंड में भी करने के लिए टीम तैयार हुई है। ग्रुप केप्रमुख ऑस्टिन ने सोनी से कहा है कि वे राज्य के जल संसाधन विभाग को भी अपनी अध्ययन रिपोर्ट सौंपेंगे। जिससे वर्षा जल प्रबंधन के साथ ही नई तकनीक से खेती कर ज्यादा पानी बचाने का रास्ता झारखंड में भी साफ हो सके।
पानी की स्थिति चिंताजनक : फिलहाल झारखंड में ग्राउंड वाटर रिजर्व केवल 4292 मिलियन क्यूबिक मीटर पर ईयर है। इसके अतिरिक्त 25876 एमसीएम सर्फेस वाटर मौजूद है। चिंताजनक यह है कि कृषि के लिए सिंचाई की खातिर हर साल 3813 एमसीएम पानी की जरूरत है। इतना ही नहीं उद्योग-धंधों के लिए अलग से 4338 एमसीएम पानी चाहिए। इसके अलावा राज्य के शहरी इलाकों में पीने, नहाने, सफाई और अन्य कामों के लिए जहां एक ओर 1616 लाख गैलन पानी की जरूरत है, वहीं इसकी उपलब्धता केवल 734 लाख गैलन ही है। साफ है कि राज्य में जितना पानी उपलब्ध है, उससे ज्यादा की मांग है।