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पानी में यूरेनियम, डॉक्टरों ने छोड़ा हॉस्टल

पजाब के मालवा क्षेत्र के पानी मे मौजूद यूरेनियम के खौफ से जनता तो सहमी है ही, अब मेडिकल के छात्र व डॉक्टर भी डर गए है। गुरु गोबिद सिह मेडिकल कॉलेज फरीदकोट के 300 छात्रो और 220 डॉक्टरो ने हॉस्टल छोड़कर शहर मे किराये पर कमरे लेकर रहना शुरू कर दिया है।

By Edited By: Published: Mon, 14 May 2012 07:47 AM (IST)Updated: Mon, 14 May 2012 08:53 AM (IST)
पानी में यूरेनियम, डॉक्टरों ने छोड़ा हॉस्टल

फरीदकोट [अमित शर्मा]। पंजाब के मालवा क्षेत्र के पानी में मौजूद यूरेनियम के खौफ से जनता तो सहमी है ही, अब मेडिकल के छात्र व डॉक्टर भी डर गए हैं। गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज फरीदकोट के 300 छात्रों और 220 डॉक्टरों ने हॉस्टल छोड़कर शहर में किराये पर कमरे लेकर रहना शुरू कर दिया है।

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हॉस्टल के वार्डन का कहना है कि जमीन के नीचे से निकाला पानी बिना शुद्ध किए हॉस्टल में सप्लाई किया जाता है। पानी में मौजूद यूरेनियम सेहत के लिए खतरा बनता जा रहा है, इसलिए छात्रों व डॉक्टरों ने हॉस्टल छोड़ दिया है। गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कालेज प्रदेश के तीन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में से एक है। कॉलेज के हॉस्टल में पीने, कपड़े धोने, खाना बनाने व नहाने के लिए भू-जल ही प्रयोग में लाया जाता है। ऐसा तब हो रहा है जब भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई की ओर से पानी के लिए गए सैंपलों की जाच के बाद यह स्पष्ट किया गया है कि फरीदकोट के अलावा मालवा क्षेत्र के आठ जिलों में जमीनी पानी में यूरेनियम की मात्रा बहुत ज्यादा है। इस पानी का इस्तेमाल करने से कैंसर जैसी बीमारियों के होने का खतरा है। हॉस्टल के वार्डन कंवलजीत सिंह ने भी स्वीकार किया कि करीब 300 छात्र और 220 डॉक्टर हॉस्टल छोड़कर शहर के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं। होस्टल में बचे 80 डॉक्टर भी पानी खरीदकर पीते हैं। वार्डन के अनुसार कुछ महीनों पहले जल सप्लाई व सीवरेज बोर्ड की ओर से सर्वे किया गया था। जिसमें कॉलेज को नहरी पानी सप्लाई किया जाना था। सप्लाई शुरू भी हुई, लेकिन कुछ तकनीकी खराबी के कारण बाद में इसे बंद कर दिया। इसे आज तक ठीक नहीं किया गया है। वार्डन के मुताबिक कॉलेज में पानी की सप्लाई के लिए जमीन में बोर किया गया, लेकिन पानी शुद्ध करने के लिए कोई यंत्र नहीं लगाए गए। कॉलेज के प्रिंसिपल जीएस आहीर ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से कॉलेज में मरम्मत व नई इमारत का काम किया गया है, जिसके कारण कॉलेज प्रशासन के पास फंड की कमी हो गई है।

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