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सोलर घोटाले पर केरल विधान सभा में भारी हंगामा

सोलर घोटाले को लेकर केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इस मुद्दे पर मंगलवार को राज्य विधान सभा में भारी हंगामा हुआ।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 06:22 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 06:47 PM (IST)
सोलर घोटाले पर केरल विधान सभा में भारी हंगामा

तिरुअनंतपुरम। सोलर घोटाले को लेकर केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इस मुद्दे पर मंगलवार को राज्य विधान सभा में भारी हंगामा हुआ। चांडी के इस्तीफे की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों की सत्ताधारी विधायकों से तीखी नोकझोंक के बीच स्पीकर एन सकठन ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। ध्यान रहे कि तेरहवीं विधान सभा के आखिरी सत्र की बैठक के पहले दिन 5 फरवरी को भी विपक्ष ने राज्यपाल पी सथशिवम के भाषण के दौरान इस मुद्दे को लेकर काफी हंगामा किया था।

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मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने सोलर घोटाले में मुख्यमंत्री चांडी और ऊर्जा मंत्री आर्यदन मोहम्मद की संलिप्तता का मुद्दा उठाने की कोशिश की। माकपा नेतृत्व वाले विपक्षी एलडीएफ गठबंधन के सदस्यों का कहना था कि घोटाले की मुख्य आरोपी सरिता एस नायर ने चांडी सहित ऊर्जा मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इसलिए पहले विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की जाए। विपक्ष की इस मांग को स्पीकर ने खारिज कर दिया। इसके बाद विपक्षी सदस्य 'चांडी इस्तीफा दो' का नारा लगाते हुए सदन के वेल में आ गए। इस बीच नेता विरोधी दल वीएस अच्युतानंदन ने चांडी के परिवार पर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। इससे कांग्रेस के सदस्य भड़क गए। दोनों ओर से जवाबी नारेबाजी होने लगी। शोरगुल के बीच मुख्यमंत्री चांडी ने कहा कि घोटाले के मुख्य आरोपी के झूठे बयान को आधार बनाकर विपक्ष का सरकार पर हमला करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार के कठोर कदमों से सहमी मुख्य आरोपी सरिता बदला लेने के लिए झूठ बोल रही है। मुख्यमंत्री के अनुसार विपक्ष घोटाले के मास्टरमाइंड बीजू राधाकृष्णन और उसकी पत्नी सरिता नायर की चालबाजी का शिकार हो गया है। जबकि माकपा विधायक कोडियारी बालाकृष्णन ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त चांडी को पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। अगर थोड़ी सी भी नैतिकता बची हो तो उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए।


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