यूपी में कब्रिस्तान और श्मशान घाट के विकास के लिए हुई थी फंडिंग
2012 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में अतिक्रमण के खिलाफ सपा ने कब्रिस्तान के चारों ओर चारदीवारी के निर्माण के लिए विशेष पैकेज देने का वादा किया था।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। फतेहपुर में चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का श्मशान और कब्रिस्तान संबंधित बयान पहली बार नहीं है जब उन्होंने उत्तर प्रदेश में श्मशान भूमि का मामला उठाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा- ‘अगर आप गांवों में कब्रिस्तान बनाते हैं तो श्मशान घाट भी बनना चाहिए। अगर आप रमजान में बिना बाधा की बिजली देते हैं तो दिवाली के मौके पर भी बिजली पहुंचनी चाहिए, इन चीजों में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।‘
2012 के विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में समाजवादी पार्टी ने अतिक्रमण से बचाव के लिए कब्रिस्तान के चारों ओर चारदीवारी के निर्माण की बात कही थी।
सत्ता में आने के बाद सरकार ने 15 मार्च 2012 के अपने पहले कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव पर विचार करने का निर्णय लिया। शिया सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर से डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को प्रस्ताव मिला और चारदीवारी के लिए बजट निर्धारित किया, भाजपा ने इसका विरोध भी किया।
4 सितंबर, 2012 को कैबिनेट ने इस स्कीम को ‘अल्पसंख्यक समुदायों के कब्रिस्तानों/अंत्येष्टि स्थल की भूमि की सुरक्षा योजना’ नाम दिया और सिख, इसाई, बौद्ध, जैन और पारसी जैसे अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अंत्येष्टि भूमि के लिए चारदीवारी का निर्माण भी इस योजना में शामिल किया गया।
1.35 मीटर ऊंची चारदीवारी के निर्माण के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को अल्पसंख्यकों के अंत्येष्टि भूमि की पहचान करने को कहा गया। यह योजना राज्य सरकार की मुस्लिम वक्फ विभाग द्वारा चलायी गयी। 2012-13 के लिए अपने बजट में राज्य सरकार ने इस स्कीम के लिए 200 करोड़ का प्रावधान किया और अल्पसंख्यकों के 1,130 अंत्येष्टि भूमि के चारों ओर प्रस्तावित चारदीवारी का निर्माण होना था।
फंड के लिए सबसे अधिक मांग मुस्लिम बहुल जिले के डीएम की ओर से आयी जैसे मुरादाबाद (Rs 11.55 crore), मुजफ्फरनगर (Rs 8.66 cr), बिजनोर (Rs 8.48 cr), बरेली (Rs 7.91 cr), सहारनपुर (Rs 7.29 cr), मेरठ (Rs 6.41 cr), रामपुर (Rs 6.33 cr), बहराइच (Rs 5.24 cr), और गाजियाबाद (Rs 5.15 cr)।
2013-14 में सरकार ने इस स्कीम के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया और आवंटन का 98.13% उपयोग किया गया। उस वक्त तक श्मशान घाटों के विकास के लिए कोई स्कीम नहीं था। भाजपा की प्रदेश इकाइ ने बार बार इस मामले को उठाया और सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया।
सितंबर 2014 में सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में श्मशान घाट के विकास के लिए एक स्कीम लांच किया। चिन्हित किए गए प्रत्येक लोकेशन पर पंचायती राज को को अंत्येष्टि के लिए दो प्लेटफार्म, शांति स्थल, पेयजल और शौचालय की सुविधाएं, लकड़ियों के लिए स्टोररूम, हैंडपम्प विकसित करना था।
2014-15 के बजट में अल्पसंख्यकों के अंत्येष्टि स्थल के लिए 200 करोड़ का बजट तय किया गया और ग्रामीण क्षेत्रों में अंत्येष्टि स्थल के लिए 100 करोड़ रुपये दिए गए। 2016-17 वित्तीय वर्ष के लिए सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया और ग्रामीण क्षेत्रों में श्मसान घाट के लिए 127 करोड़ रुपये का प्रावधान किया।