यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली
मायावती सरकार के कार्यकाल में पद गवांने वाले जिला शासकीय अधिवक्ताओं के लिए खुशखबरी है। उन्हें जल्द ही अपने पद पर वापसी मिलेगी। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में अब जिला अदालतों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति के पहले जिला जज से परामर्श करना भी अनिवार्य होगा, क्योंकि प्रदेश सरकार ने एलआर मैनुअल में संशोधन को निरस्त करने वाले इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली प्रदेश सरकार ने अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मायावती सरकार के कार्यकाल में पद गवांने वाले जिला शासकीय अधिवक्ताओं के लिए खुशखबरी है। उन्हें जल्द ही अपने पद पर वापसी मिलेगी। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में अब जिला अदालतों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति के पहले जिला जज से परामर्श करना भी अनिवार्य होगा, क्योंकि प्रदेश सरकार ने एलआर मैनुअल में संशोधन को निरस्त करने वाले इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली प्रदेश सरकार ने अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गत छह जनवरी और 12 जनवरी के फैसले में प्रदेश सरकार के एलआर मैनुअल में किए गए संशोधन को निरस्त कर दिया था। इस संशोधन में राज्य सरकार ने जिला अदालतों में शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति से पहले जिला जज से परामर्श के प्रावधान को समाप्त कर दिया था। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने उत्तार प्रदेश सरकार द्वारा सीआरपीसी की धारा 24 में किए गए संशोधन को भी अवैधानिक ठहराया था। उत्तार प्रदेश सरकार ने इन दोनों फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
गुरुवार को प्रदेश सरकार के वकील कमलेंद्र मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हाई कोर्ट का फैसला स्वीकार कर लिया है। न्यायमूर्ति एके पटनायक व न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने सरकार को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और हाई कोर्ट के फैसले पर लगी अंतरिम रोक समाप्त कर दी।
इसका प्रभाव यह होगा कि अगस्त 2011 में पद से हटाए गए करीब 1200 जिला शासकीय अधिवक्ता फिर से अपने पद पर काबिज हो जाएंगे। एलआर मैनुअल में संशोधन के तहत जिला जज से परामर्श के बगैर नियुक्ति किए गए जिला शासकीय अधिवक्ताओं को पद गंवाना पड़ेगा। इसके अलावा रिक्त पड़े पदों पर नियुक्ति से पहले जिला जज से परामर्श करना अनिवार्य होगा।
सीआरपीसी की धारा 24 का संशोधन रद करने के खिलाफ दाखिल प्रदेश सरकार की याचिका अभी लंबित है, लेकिन उस मामले में भी कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश समाप्त कर दिया है। इसका प्रभाव यह होगा कि जिला अदालत में सरकारी वकील की नियुक्ति से पहले जिला जज से परामर्श करना अनिवार्य होगा और हाई कोर्ट में सरकारी वकील यानि लोकसेवक नियुक्त करने से पहले हाई कोर्ट से परामर्श करना जरूरी होगा। उत्तार प्रदेश सरकार ने सीआरपीसी में संशोधन कर परामर्श के इन प्रावधानों को हटा दिया था।
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