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संगठन में पनाह खोज रहे सपा के बर्खास्त दर्जाधारी मंत्री

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी की कमान सौंप दी है। इसके साथ ही सपा की प्रदेश कार्यकारिणी के गठन की कवायद तेज हो गई है। प्रदेश कार्यकारिणी में पद हासिल करने के लिए सपा नेताओं ने भाग-दौड़ तेज कर दी है। कार्यकारिणी में समायोजन के लिए सबसे ज्यादा उतावले बर्खास्त दज

By Abhishake PandeyEdited By: Published: Thu, 30 Oct 2014 10:08 AM (IST)Updated: Thu, 30 Oct 2014 10:16 AM (IST)
संगठन में पनाह खोज रहे सपा के बर्खास्त दर्जाधारी मंत्री

लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी की कमान सौंप दी है। इसके साथ ही सपा की प्रदेश कार्यकारिणी के गठन की कवायद तेज हो गई है। प्रदेश कार्यकारिणी में पद हासिल करने के लिए सपा नेताओं ने भाग-दौड़ तेज कर दी है। कार्यकारिणी में समायोजन के लिए सबसे ज्यादा उतावले बर्खास्त दर्जा प्राप्त मंत्री हैं। जो येन-केन-प्रकारेण अपना खोया रुतबा हासिल करने के लिए कार्यकारिणी में पद हासिल करने को कुछ भी करने को तैयार हैं।

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बर्खास्त दर्जा प्राप्त मंत्रियों में कुछ ऐसे सपा नेता शामिल हैं, जिन्हे उम्मीद है कि सपा की प्रदेश कार्यकारिणी में उनका समायोजन हो जाएगा। इसके पीछे वह लोकसभा चुनाव के बाद बर्खास्त किए गए 37 दर्जा प्राप्त मंत्रियों में से कुछ के पुन: पद पर बहाली को नजीर मान रहे हैं। पार्टी के ऐसे नेताओं का तर्क है कि चूंकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक नीति के तहत सभी दर्जा प्राप्त मंत्रियों को बर्खास्त किया है। इसलिए वह भी इसकी जद में आ गए हैं। पार्टी नेतृत्व भी यह महसूस कर रहा है।

बताते हैं कि बर्खास्त दर्जा प्राप्त मंत्रियों को उम्मीद है कि प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के समय उनकी पार्टी के प्रति वफादारी और कार्य पर जरूर गौर किया जाएगा। इन नेताओं का मानना है कि प्रदेश कार्यकारिणी में भले ही उन्हें छोटा ही पद मिले, लेकिन समायोजन होने से उनकी साख तो बच जाएगी। वह पार्टी के दागदार या गद्दार नेताओं की सूची से तो मुक्त हो जाएंगे।

दरअसल, सपा नेतृत्व इस बार संगठन में भी साफ सुथरी छवि के पार्टी नेताओं को जिम्मेदारी देने के मूड में हैं। इसके लिए पार्टी ने साफ छवि के लोगों की सूची बनाना शुरू कर दिया है। इसके अलाव पार्टी इस बार सरकार में शामिल मंत्रियों को भी संगठन के काम से मुक्त करने का फैसला कर चुकी है। जाहिर है कि ऐसे में सरकार में शामिल मंत्रियों को भी कार्यकारिणी से दूर रखा जाएगा।

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