चेतावनी के बाद भी नहीं कम हो रही थी दर्जा प्राप्त मंत्रियों की कारगुजारियां
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा शनिवार को 82 दर्जा प्राप्त मंत्रियों को बर्खास्त करने का कारण खुद मंत्रियों की बढ़ती कारगुजारियां थीं। सत्ता की हनक में बढ़ रही मंत्रियों की अभद्रता यूपी में सपा की छवि धूमिल कर रही थी। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की लगातार चेतावनी के बाद भी दर्जा प्राप्त मंत्री रास्ते पर नहीं आ रहे थे।
लखनऊ, जागरण ब्यूरो। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा शनिवार को 82 दर्जा प्राप्त मंत्रियों को बर्खास्त करने का कारण खुद मंत्रियों की बढ़ती कारगुजारियां थीं। सत्ता की हनक में बढ़ रही मंत्रियों की अभद्रता यूपी में सपा की छवि धूमिल कर रही थी। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की लगातार चेतावनी के बाद भी दर्जा प्राप्त मंत्री रास्ते पर नहीं आ रहे थे।
बीते शुक्रवार को बागपत में दर्जा प्राप्त मंत्री के पिता ने दरोगा को सरेआम बेइज्जत कर कानून-व्यवस्था का मखौल उड़ाया था। इसके बाद पार्टी प्रमुख का यह कदम लाजमी था। दरअसल, पार्टी नेताओं को सत्ता में भागीदार बनाने के प्रयास में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने करीब सवा सौ लोगों को जिस तरह मंत्री और राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। उसका पार्टी में ही खासा विरोध था। यह अलग बात है कि प्रारंभ में इस विरोध को दरकिनार कर दिया गया। लेकिन, लोकसभा चुनाव के बाद विरोध के स्वर जब तेज हुए तो मुख्यमंत्री ने एक ही झटके में 37 दर्जा प्राप्त राज्य मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया। लेकिन, शीर्ष नेतृत्व के दबाव में इनमें से कई को बहाल भी करना पड़ा। बहरहाल, दर्जा प्राप्त मंत्रियों को पद से हटाने के पीछे सियासी निहितार्थ कुछ भी हों, लेकिन इससे सरकार को करोड़ों रुपये की बचत होगी। अब तक इन पर एक बड़ी धनराशि खर्च की जा रही थी। राजनीतिक दल इसको लेकर भी सपा सरकार पर निशाने साधते रहे हैं। राज्य में कुल विधानसभा सदस्यों के 15 फीसद ही मंत्री बन सकते हैं। इस लिहाज से सपा सरकार को सत्ता में संतुलन बनाने के लिए दर्जा प्राप्त मंत्रियों की रेवड़ियां बांटनी पड़ती है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इन्ही मजबूरियों के तहत यह पद रेवड़ियों की तरह पार्टी नेताओं में बांटे थे। इन दर्जा प्राप्त मंत्रियों पर वेतन, स्टाफ व अन्य सुविधाओं पर एक बड़ी धनराशि खर्च की जा रही थी। लोकसभा चुनाव बाद 37 नेताओं से दर्जा छीनकर सरकार ने इस खर्च में कुछ कटौती की थी। शनिवार को इस कटौती को सरकार ने न्यूनतम सीमा पर ला दिया है।