यूपी ने हासिल किया नीति आयोग का 'साथ'
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रों में सुधार के लिए नीति आयोग की एक पहल है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बदहाल शिक्षा और खस्ताहाल स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए 'बीमारू' राज्यों में जोरदार ललक दिखी है। यूपी और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने अपने यहां इन सुविधाओं को सुधारने के लिए बाकी प्रदेशों के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा में नीति आयोग का 'साथ' हासिल करने में सफलता हासिल की है।
दरअसल 'साथ' (एसएटीएच) का मतलब 'सस्टेनेबल एक्शन फॉर ट्रांसफॉर्मिग ह्यूमन कैपिटल' है जो शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रों में सुधार के लिए नीति आयोग की एक पहल है। इसके तहत आयोग राज्यों को अलग-अलग तरह से मदद मुहैया कराता है। जिन राज्यों को मदद मुहैया कराई जानी है उनका चयन सभी प्रदेशों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद किया गया है।
आयेाग के अनुसार स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए 'साथ' कार्यक्रम के तहत सिर्फ तीन राज्यों- उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक का चयन किया गया है। जबकि शिक्षा के क्षेत्र में का करने के लिए मध्य प्रदेश, उड़ीसा और झारखंड का चयन किया गया है। इन छह प्रदेशों का चयन लंबे समय तक चली प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है।
नीति आयोग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि आयोग राज्यों ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रस्तावित कार्यक्रमों को लेकर आयोग के समक्ष प्रजेंटेशन दिए। आयोग की एक चयन समिति ने इन प्रस्तावों का परीक्षण किया जिसके बाद इन छह प्रदेशों का नाम चुना गया है। इस अनूठी पहले के तहत नीति आयोग अगले तीन साल तक इन राज्यों में स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के लिए मदद करेगा ताकि इनकी सफलता के मॉडल को दूसरे प्रदेशों में अपनाया जा सके।
शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाओं के सर्विस डिलीवरी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे। अधिकारी ने कहा कि इस अभियान में राज्य सरकार, नीति आयोग के अलावा एक नॉलेज पार्टनर भी होगा। अधिकारी ने कहा कि 'साथ' कार्यक्रम सहकारी संघवाद के मॉडल का जीता जागता उदाहरण है। उल्लेखनीय है कि हाल में नीति आयोग ने राज्यों के साथ मिलकर उनके विकास कार्यक्रम बनाने और उनके प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसी तरह का एक प्रयास आयोग ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के साथ भी किया है।