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यूपी ने सातवें वेतन आयोग के लिए केंद्र से मांगा 50 फीसद अनुदान

केंद्रीय कर्मियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें सामने आने के बाद अब राज्य सरकारों पर भी अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2016 08:08 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 09:29 PM (IST)
यूपी ने सातवें वेतन आयोग के लिए केंद्र से मांगा 50 फीसद अनुदान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । केंद्रीय कर्मियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें सामने आने के बाद अब राज्य सरकारों पर भी अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश सरकारें अपने यहां सातवें वेतन आयोग की तरह ही वेतन वृद्धि करने के लिए केंद्र से अनुदान की मांग कर रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप वेतन वृद्धि करने के लिए केंद्र से 50 प्रतिशत अनुदान की मांग की है। उन्होंने लखनऊ-बलिया एक्सप्रेस-वे के लिए 5000 करोड़ रुपये की सहायता की भी मांग केंद्र सरकार से की है। प्रदेश ने वाराणसी और कानुपर में मेट्रो रेल चलाने के लिए भी केंद्र से सहायता राशि की मांग की।

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ये मांगें केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के समक्ष रखीं। शनिवार को यहां राज्यों के साथ बजट-पूर्व चर्चा के दौरान यूपी के राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र बाजपेयी ने मुख्यमंत्री की ये मांगें जेटली के समक्ष रखीं। मुख्यमंत्री ने बुंदेलखंड में सिंचाई, पेयजल और जल प्रबंधन के लिए विशेष पैकेज की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि केंद्र के सहयोग के बिना यह काम संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने इसके लिए सिर्फ 325 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं जो अपर्याप्त हैं।

मुख्यमंत्री का कहना है कि केंद्र सरकार सातवें वेतन आयोग को लागू कर रही है। इसके चलते प्रदेश पर आने वाले व्यय भार का 50 प्रतिशत केंद्र सरकार अनुदान के रूप में प्रदान करे। उन्होंने कहा कि चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने पर भी यूपी की हिस्सेदारी 19.67 प्रतिशत से कम होकर 17.95 प्रतिशत रह गई है। इसके अलावा केंद्र प्रायोजित योजनाओं के फंडिंग प्रतिरूप में भी बदलाव आने के बाद राज्य के खजाने पर बोझ बढ़ा है, इसलिए इससे राज्य को अपेक्षानुरूप लाभ नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि राज्य के बढ़ते खर्च को देखते हुए केंद्र सरकार को राज्य की ऋण सीमा की छूट राज्य सकल घरेलू उत्पाद के साढ़े तीन प्रतिशत के बराबर होनी चाहिए। यादव ने राज्य में सूखा और ओलावृष्टि की क्षति का जिक्र करते हुए कहा कि इससे लगभग साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जबकि केंद्र ने मात्र 2801 करोड़ रुपये ही उपलब्ध कराए हैं।


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