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दोनों के सुहाग को था खतरा, अब एक-दूसरे के पतियों की करेंगी रक्षा

अमृतसर की दो महिलाओं के पतियों की किडनियां फेल हाे गई थीं। लेकिन पतियों को वे किडनियां नहीं दे पा रही थीं। कोई राह नहीं दिख रही थी। दोनों की भेंट हुई तो समस्‍या का हल हो गया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 11:25 AM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 11:56 AM (IST)
दोनों के सुहाग को था खतरा, अब एक-दूसरे के पतियों की करेंगी रक्षा
दोनों के सुहाग को था खतरा, अब एक-दूसरे के पतियों की करेंगी रक्षा

अमृतसर, [नितिन धीमान]। कुछ देर की बातचीत ने रविंदर कौर और मनजीत कौर के जीवन की सबसे बड़ी मुसीबत का हल निकाल दिया। दोनों के पति अस्पताल में हैं और उनकी किडनियां फेल हो गई हैं। पति-पत्नी का ब्लड ग्रुप अलग-अलग हाेने के कारण वे अपनी किडनी पति को नहीं दे पा रही थीं। अब, वे एक-दूसरे के पति को 'स्वैपिंग' सिस्टम के तहत किडनी देंगी और अपने सुहाग को बचाएंगी।

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दोनों अर्द्धांगिनी के त्याग व समर्पण के इस साहसिक कदम का किडनी प्रत्यारोपण कमेटी के सदस्यों ने भी स्वागत किया। गुरु नानक देव अस्पताल में कमेटी की बैठक में दोनों केसों को बिना शर्त मंजूरी दे दी गई। अब जल्द ही उनकी किडनी का प्रत्यारोपण होगा।

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अमृतसर की रविंदर कौर व गुरदासपुर की मनजीत कौर का साहसिक फैसला

गुरदासपुर के अमन नगर निवासी गुलजार सिंह काफी समय से किडनी फेल होने की समस्या से परेशान हैं। उनकी पत्नी मनजीत कौर अपनी किडनी देकर उनकी जिंदगी बचाना चाहती थीं, पर ब्लड ग्रुप एक नहीं हाेेने होने से यह संभव न था। ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट ऑथोराइजेशन कमेटी ने इस केस को मंजूरी नहीं दी।

कमेटी ने स्वैपिंग सिस्टम के तहत किडनी ट्रांसप्लांट की मंजूरी दी

दूसरी तरफ, अमृतसर के ईस्ट मोहन नगर क्षेत्र में रहने वाले भूपिंदर सिंह की किडनियां भी खराब हैं। उनकी पत्नी रविंदर कौर का ब्लड ग्रुप भी मैच न होने के कारण किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा था। भूपिंदर एक साल से अमृतसर के एक निजी अस्पताल में इलाज करवा रहे थे। बीमारी बढ़ती जा रही थी। हालात ऐसे बने कि हर सप्ताह दो बार डायलिसिस करवाना पड़ रहा था।

रविंदर कौर के अनुसार, वह चिंता में डूबी थीं और अस्पताल में दाखिल अपने पति को शीघ्र ठीक होने का दिलासा दे रही थीं। वार्ड में दाखिल गुलजार सिंह भी इसी परेशानी से जूझ रहे थे। इसी दौरान रविंदर कौर और मनजीत कौरकी मुलकात हुई। दोनों ने एक-दूसरे की समस्या के बारे में बात की। दोनों ने एक-दूसरे का ब्लड ग्रुप पूछा तो यह एक-दूसरे के पति से मैच कर गया।

बस, यहीं से इन दोनों के बीच एक ऐसे रिश्ते की नींव तैयार हुई जो खून का तो नहीं, पर इंसानियत और समर्पण का रिश्ता बन गया। दोनों ने फैसला किया कि अपनी किडनियां देकर वे एक-दूसरे के सुहाग की रक्षा करेंगीं। दोनों ने इसकी जानकारी अस्पताल के डॉक्टरों को दी। अस्पताल प्रबंधन ने उक्त दोनों दंपतियों को किडनी ट्रांसप्लांट कमेटी के सामने प्रस्तुत होने की सलाह दी।

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दोनों के बीच सहमति होने के कारण कमेटी ने स्वैपिंग सिस्टम के तहत किडनी ट्रांसप्लांट की मंजूरी प्रदान की और सर्टिफिकेट जारी कर दिया। किडनी कमेटी के चेयरमैन डॉ. रामस्वरूप शर्मा ने बताया कि उनके करियर में ऐसे इक्का-दुक्का मामले ही आए हैं।

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भाई-बहन के रिश्ते में बंधे परिवार

इंसानियत और समर्पण का यह रिश्ता अब राखी के पवित्र धागे में बंधेगा। रविंदर कौर ने गुलजार सिंह को तथा मनजीत कौर ने भूपिंदर सिंह को भाई का दर्जा दिया है। गुलजार ने बताया कि रविंदर कौर की वजह से उन्हें नया जीवन मिल रहा है, इसलिए वह उन्हें बहन का दर्जा देते हैं। वहीं मनजीत कौर को बहन मानने वाले भूपिंदर ने कहा कि यह रिश्ता खून के रिश्ते से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है।


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