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अभी नहीं छूटे दोनों अपहृत भारतीय

लीबिया में इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने जिन चार भारतीय शिक्षकों का अपहरण किया था उनमें दो अब भी उनके चंगुल में हैं। दो साथियों के मुक्त होने बाद शेष दोनों के भविष्य को लेकर जैसे-जैसे समय बीत रहा है उनके परिवार की चिंता बढ़ती जा रही है। सरकार के लगातार

By Amit MishraEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 09:09 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 01:39 AM (IST)
अभी नहीं छूटे दोनों अपहृत भारतीय

नई दिल्ली। लीबिया में इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने जिन चार भारतीय शिक्षकों का अपहरण किया था उनमें दो अब भी उनके चंगुल में हैं। दो साथियों के मुक्त होने बाद शेष दोनों के भविष्य को लेकर जैसे-जैसे समय बीत रहा है उनके परिवार की चिंता बढ़ती जा रही है। सरकार के लगातार प्रयास के बावजूद शनिवार को उनकी रिहाई के मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।

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सिर्ते विश्वविद्यालय के इन चार शिक्षकों में से शुक्रवार को लक्ष्मीकांत और विजय कुमार को आतंकियों ने छोड़ दिया था। इनमें एक कर्नाटक के रायचूर के और दूसरे बेंगलुरु के निवासी हैं। बलराम किशन और टी गोपीकृष्ण अब भी आतंकियों के चंगुल में हैं। किशन हैदराबाद के हैं जबकि गोपीकृष्ण आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के निवासी हैं लेकिन उनका परिवार भी हैदराबाद में ही रहता है।

शुक्रवार को मुक्त हुए शिक्षकों में से एक ने किशन की पत्‌नी श्रीदेवी को एक एसएमएस भेजा था जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी सुरक्षित हैं, लेकिन परिवार के सदस्य बेचैन हैं क्योंकि उसके बाद कोई सूचना नहीं मिली है। उल्लेखनीय है कि चारो 29 जुलाई को त्रिपोली और ट्यूनिस के रास्ते भारत लौट रहे थे। रास्ते में सिर्ते से 50 किलोमीटर दूर एक जांच चौकी पर उन्हें रोक लिया गया था। यह क्षेत्र आइएस के कब्जे में है।

आंध्र प्रदेश के प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री पी रघुनाथ रेड्डी ने दोनों को मुक्त कराने की कोशिशों के बारे में कहा कि त्रिपोली में भारतीय दूतावास के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि आइएस के आतंकियों ने पिछले साल जून में जिन 40 भारतीयों का इराक के मोसुल से अपहरण किया था उनमें 39 का अब तक कोई पता चला है। अपहृतों में अधिकांश पंजाब के मजदूर थे। सरकार का कहना है कि वे सभी जिंदा हैं।

गोपीकृष्ण वर्ष 2007 से ही विश्वविद्यालय के जुफरा शाखा में कंप्यूटर साइंस पढ़ाते हैं जबकि बलराम उसी विश्वविद्यालय में वर्ष 2011 से अंग्रेजी के शिक्षक हैं। गोपीकृष्ण की पत्‌नी कल्याणी हैदराबाद में रहती हैं। इनके दो बच्चे हैं। जाह्नवी दस साल की है जबकि बेटा ईश्वर अभी चार साल का है। बलराम की पत्‌नी श्रीदेवी हैदराबाद के एक निजी कॉलेज में व्याख्याता हैं। इनके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा विजय भास्कर (19) आइआइटी खड़गपुर से बीटेक कर रहा है जबकि मधुसूदन (12) स्कूल में पढ़ता है।

सुरक्षित हैं और जल्द लौटेंगे भारत

बेंगलुरु। लीबिया में आइएस के चंगुल से मुक्त हुए कर्नाटक के दो अपहृत शिक्षकों ने शनिवार को कहा कि वे सुरक्षित हैं और बहुत जल्द भारत लौटेंगे। विजय कुमार ने फोन कर कहा, लक्ष्मीकांत व मैं सुरक्षित हूं। दोनों त्रिपोली स्थित भारतीय दूतावास में पहुंच गए हैं और अधिकारी दोनों के लौटने का कार्यक्रम बना रहे हैं।

लक्ष्मीकांत ने अभी पांच माह पहले पैदा हुई अपनी बेटी नहीं देखा है। उन्होंने कहा, मैं अब भी आश्वस्त नहीं हूं कि मैं अपनी बेटी को देख पाऊंगा। दोनों ने कहा कि बंधक रहने के दौरान उनके साथ अच्छा व्यवहार किया गया। मुक्त होने के बाद दोनों ने एक कन्नड़ टीवी चैनल से भी बात की। चैनल ने ही दोनों की अपने परिवार से बातचीत कराई। कुमार का कहना है कि भारत आने के बाद वह फिर लीबिया नहीं जाएंगे क्योंकि वह नौकरी से इस्तीफा दे चुके हैं। दोनों ने मदद के लिए भारतीय अधिकारियों को धन्यवाद दिया है।

दत्तात्रेय ने सुषमा से की अपहृतों को रिहा कराने की गुजारिश
हैदराबाद। केंद्रीय मंत्री बंगारू दत्तात्रेय ने शनिवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के दो शेष दो अपहृत शिक्षकों गोपीकृष्ण व बलराम को आइएस के चंगुल से मुक्त कराने की अपील की। इस बारे में उन्होंने विदेश मंत्री को एक पत्र भी लिखा है।


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