लीबिया में अगवा चार भारतीयों में से दो छुड़ाए गए
लीबिया में कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) के कब्जे वाले इलाके में एक बार फिर भारतीयों को निशाने पर लिया गया है। बुधवार को लीबियाई शहर सिर्ते के पास सीमा पर चार भारतीयों का अपहरण कर लिया गया। अपहरण का शक आतंकी संगठन आइएस पर है क्योंकि इस इलाके
नई दिल्ली। लीबिया में कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) के कब्जे वाले इलाके में एक बार फिर भारतीयों को निशाने पर लिया गया है। बुधवार को लीबियाई शहर सिर्ते के पास सीमा पर चार भारतीयों का अपहरण कर लिया गया। अपहरण का शक आतंकी संगठन आइएस पर है क्योंकि इस इलाके पर उसी का कब्जा है। हालांकि शुक्रवार शाम तक इनमें से दो भारतीयों को छुड़ा लिया गया है। शेष दो अपहृतों को छुड़ाने की कोशिश जारी है। इससे पहले पिछले साल जून में इराक में आइएस ने 40 भारतीयों को अगवा कर लिया था जिनका अब तक पता नहीं चला है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि लीबिया में अपहृत चार भारतीयों में से दो लक्ष्मीकांत व विजय कुमार को छुड़ा लिया गया है। शेष दो भारतीयों को छुड़ाने के लिए भी कोशिश जारी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी बताया कि दो भारतीय सकुशल सिर्ते विश्वविद्यालय लौट चुके हैं। दोनों उसी विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। वैसे स्वरूप या किसी अन्य अधिकारी ने यह नहीं बताया कि दोनों की रिहाई कैसे संभव हो पाई है। हालांकि, अधिकारियों ने यह उम्मीद जताई है कि शेष दोनों भारतीय भी सुरक्षित निकल आएंगे।
इसके पहले शुक्रवार की सुबह में स्वरूप ने यह जानकारी दी थी कि बुधवार को लीबिया के सिर्ते शहर से 50 किलोमीटर दूर सीमा पर भारत लौटने की कोशिश कर रहे चार भारतीयों को कुछ लोगों ने अपने कब्जे में लिया है। इनमें दो हैदराबाद और एक-एक रायचूर और बेंगलुरु से हैं। तीन सिर्ते विश्वविद्यालय में अध्यापन का काम करते हैं जबकि एक जुफरा स्थित सिर्ते विश्वविद्यालय की शाखा से जुड़ा है।
इसके पहले विदेश मंत्री ने स्वयं इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी थी। अपहरण की खबर आने के बाद से ही विदेश मंत्रालय लीबिया व वहां के करीबी देशों के अपने दूतावासों के साथ लगातार संपर्क में था। विदेश मंत्रालय के अधिकारी अपहृत भारतीयों के रिश्तेदारों के साथ लगातार संपर्क में थे। आंध्र प्रदेश की सरकार के अधिकारी भी लगातार विदेश मंत्रालय के साथ संपर्क में रहे ताकि अपहृत भारतीयों की सुरक्षित रिहाई संभव हो सके।