विज्ञान का कमाल : लिवर से जुड़ीं बहनें हुईं अलग
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में दो महीने पहले पैदा हुईं जुड़वां बहनें सबूरा और सफूरा सामान्य बच्चों से अलग थीं। उनका शरीर एक ही लिवर से जुड़ा था। इससे घर वाले काफी चिंतित थे। पेशे से शिक्षक पिता ने श्रीनगर में कई अस्पतालों में संपर्क किया, लेकिन वहां सर्जरी नहीं हो
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में दो महीने पहले पैदा हुईं जुड़वां बहनें सबूरा और सफूरा सामान्य बच्चों से अलग थीं। उनका शरीर एक ही लिवर से जुड़ा था। इससे घर वाले काफी चिंतित थे। पेशे से शिक्षक पिता ने श्रीनगर में कई अस्पतालों में संपर्क किया, लेकिन वहां सर्जरी नहीं हो सकी। उन्होंने दिल्ली में पढ़ाई कर रहे छोटे भाई से सर्जरी के बारे में पता करने को कहा। उसने मेदांता अस्पताल के डॉक्टरों से रायशुमारी की। डॉक्टर इलाज करने के लिए तैयार हो गए।
जुड़वां बहनों को भर्ती करने से पहले उन्होंने सभी जानकारी लेकर अध्ययन शुरू किया। जन्म के समय उनका संयुक्त वजन 6 किलोग्राम के आसपास था। अन्य अंगों की भी गतिविधियां सामान्य थीं। जांच में जब पता चला कि लिवर दोनों के शरीर में आधा-आधा बंटा है, तो डॉक्टरों को थोड़ी राहत मिली। मेदांता के लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. एएस सोइन ने बताया कि यह अति दुर्लभ सर्जरी थी। एक लिवर के साथ जन्म लेने वाले दो इंसानों की न तो एनाटॉमी के बारे में पता है और न ही लिवर को अलग करने का तरीका सुझाया गया है। दोनों बहनों को अलग करने पर अधिक रक्तस्राव का खतरा था। इसलिए पहले उनकी थ्रीडी तस्वीरें ली गईं। करीब 10 दिन पहले 40 डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी शुरू की।
उस समय उनका संयुक्त वजन नौ किलोग्राम था। सर्जरी के दौरान उनकी नसों को अलग किया गया। बच्चियों को अलग करने के बाद पेट की सर्जरी कर बेली बटन बनाया गया। सर्जरी करीब छह घंटे तक चली। पेडियाटिक गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. नीलम मोहन ने बताया कि जुड़वां होने की वजह से बच्चियों की उपापचय क्रिया (मेटाबॉलिज्म) को ठीक करने में समय लग रहा था। एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. विजय वोहरा ने बताया कि एनेस्थीसिया की दो टीमें निगरानी कर रही थीं। एक को दी जाने वाली दवा का दूसरे पर कैसा असर होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल था। डॉ नीलम मोहन के अनुसार सर्जरी पर करीब दो लाख रुपये का खर्च आया है।