चीन की हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार त्रिशूल
चीन से विवाद पर त्रिशूल एयरबेस पर पैनी नजर रख रहा है।
बरेली, जेएनएनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफल अमेरिका यात्रा से भन्नाया चीन भले ही सीमा पर नए-नए विवाद खड़े कर रहा हो लेकिन, भारत उसे हर मोर्चे पर मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। कूटनीतिक मोर्चे पर जवाब के साथ ही सैन्य मोर्चे पर भी भारत कोई ढिलाई नहीं बरत रहा है। उत्तराखंड और पूर्वोत्तर में चीन की हर हरकत का जवाब अभी और भविष्य में देने के लिए त्रिशूल को खासतौर से तराशा जा रहा है। दरअसल, यह त्रिशूल बरेली स्थित देश का प्रमुख एयरबेस है, जो चीन की चुनौती के लिए ही खासतौर से 1963 में स्थापित किया गया था। हालिया विवाद और आर्मी प्रमुख विपिन रावत के सिक्किम दौरे के बाद यहां भी हचलच बढ़ गई है।
त्रिशूल की ताकत
त्रिशूल देश के अत्याधुनिक अंडरग्राउंड एयरबेस में से एक है। चीन की करीब 2400 किमी लंबी सीमा की निगरानी और संकट की घड़ी में उसके घर में घुसकर मारने की जिम्मेदारी इसके कंधों पर है। यहां अग्रिम पंक्ति के अत्याधुनिक सुखोई 30 एमकेआई लड़काऊ विमानों की स्क्वाड्रन तैनात हैं। इसके अलावा मिग विमान और एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर यानी एचएलए (ध्रुव) की विंग भी ताकत हैं। एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम इसे सुरक्षित बनाता है। पिछले कुछ सालों में त्रिशूल को दुश्मन के किसी भी बड़े हमले को झेलने लायक बनाया गया है। यहां से उड़ान भरने के वाले एयरक्राफ्ट महज आठ से दस मिनट में चीन सीमा लांघ सकते हैं। इसके अलावा
लद्दाख में चीन सीमा से महज आठ किमी पर स्थिति देश की सबसे ऊंची हवाई पट्टी से भी त्रिशूल का संपर्क है।
और बढ़ेगी ताकत
1962 में चीन से हार के बाद त्रिशूल को उससे निपटने के लिए तैयार किया गया था। तब से अब तक उसकी ताकत कई गुना बढ़ चुुकी है। उसमें लगातार इजाफा किया जा रहा है। चीन के दबाव को देखते हुए लंबे वक्त से वायुसेना त्रिशूल का विस्तार चाहती है। इसके लिए एयरबेस से सटे पांच गांवों की जमीन का अधिग्रहण होना है। हालांकि, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के चलते काम का सुस्त है।
त्रिशूल में बढ़ी हरकत
चीनी सेना की यह हरकत नई नहीं है। 2016 और उससे पहले भी उसके सैनिक उत्तराखंड स्थित भारतीय सीमा में घुस आए थे। तब सेना और वायुसेना के कड़े प्रतिरोध के कारण उन्हें लौटना पड़ा था। हालिया घटनाक्रम के बाद भी त्रिशूल एयरबेस हरकत में है। रुटीन उड़ानें भी एकाएक बढ़ गई हैं।
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