आजाद भारत में फहराया गया तिरंगा अभी तक सुरक्षित
संग्रहालय ने झंडे को संरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिक तरीके से बाक्स तैयार कराया था। लकड़ी व शीशे के बने बाक्स में इसे रखा गया है।
चेन्नई, प्रेट्र। 15 अगस्त 1947 को सेंट जार्ज किले पर फहराया गया तिरंगा आज भी सुरक्षित है। इसे पहली बार 26 जनवरी 2013 को किले के संग्रहालय में लोगों के देखने के लिए रखा गया है। एक अधिकारी का कहना है कि आजादी के बाद फहराए गए तिरंगों में केवल एक मात्र यही झंडा है जो अभी तक सुरक्षित बच सका है, लेकिन इसके लिए बहुत ज्यादा एहतियात बरती जा रही है। हालांकि झंडे के कुछ हिस्से जर्जर हो चुके हैं, लेकिन उनका मानना है कि ये समय की वजह से हुआ। राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कि ये नायाब धरोहर दुरुस्त रहे।
संग्रहालय ने झंडे को संरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिक तरीके से बाक्स तैयार कराया था। लकड़ी व शीशे के बने बाक्स में इसे रखा गया है। इसके चारों तरफ सिलिका जेल के छह बाक्स रखे गए हैं। इससे नमी को नियंत्रित किया जा रहा है। जिस हाल में ये रखा है उसके तापमान को नियंत्रित करने के लिए उपाय किए गए हैं। कमरे में रोशनी कितनी हो इसके लिए लक्स मीटर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
आलम यह है कि झंडे को कोई नुकसान नहीं पहुंचे, इसके लिए प्राकृतिक रोशनी भी बाक्स पर नहीं पड़ने दी जा रही है। धूल व अन्य प्रतिकूल चीजों को इससे दूर रखा जा रहा है। 12-8 फीट के आकार का यह झंडा 15 अगस्त 1947 को सुबह पांच बजकर पांच मिनट पर फहराया गया। संग्रहालय के पास इसका ब्योरा नहीं है कि इसे किस व्यक्ति ने फहराया था।
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