क्या कम होगी नजीब जंग-केजरीवाल के रिश्तों की तल्खी?
उपराज्यपाल नजीब जंग व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के रिश्तों की तल्खी में कमी आए न आए लेकिन राजनिवास और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच टकराव टालने की कवायद जरूर तेज हो गई है। खुद उपराज्यपाल जंग का कहना है कि कई बार अलग-अलग मुद्दों को स्पष्ट करने की पहल को टकराव
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। उपराज्यपाल नजीब जंग व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के रिश्तों की तल्खी में कमी आए न आए लेकिन राजनिवास और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच टकराव टालने की कवायद जरूर तेज हो गई है। खुद उपराज्यपाल जंग का कहना है कि कई बार अलग-अलग मुद्दों को स्पष्ट करने की पहल को टकराव का नाम दे दिया जाता है। उनका कहना है कि व्यक्तिगत तौर पर उन्हें ऐसा कोई वाकया याद नहीं आता, जहां मुख्यमंत्री से टकराव जैसी कोई स्थिति बनी हो।
राजधानी के गोल मार्केट इलाके में मंगलवार को नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) के एक कार्यक्रम में पहुंचे जंग ने मुख्यमंत्री व उनके बीच के रिश्तों को लेकर पूछे जाने पर कहा कि कई बार ऐसा जरूर होता है, जब आपको स्थिति स्पष्ट करनी होती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप आपस में टकरा रहे हैं। उन्होंने नौकरशाही को यह नसीहत भी दी कि वह सरकार को बताए कि किस प्रकार कोई भी काम कानून के दायरे में रहकर ही किया जा सकता है।
गौरतलब है कि सूबे में आम आदमी पार्टी की नई हुकूमत कायम होने के बाद से चौतरफा टकराव के संकेत मिलते रहे हैं। बीते दो महीने में दिल्ली पुलिस व दिल्ली विकास प्राधिकरण के मामले में अरविंद केजरीवाल सरकार उपराज्यपाल से लेकर गृह मंत्रालय तक से टकराती नजर आई है। सबसे पहले विवाद विधायकों की पिटाई के मामले को लेकर हुआ। आम आदमी पार्टी के दो विधायकों की दिल्ली पुलिस द्वारा पिटाई किए जाने के मामले की मजिस्ट्रेट से जांच कराए जाने संबंधी मुख्यमंत्री केजरीवाल के आदेश को उपराज्यपाल जंग द्वारा रद कर दिए जाने से राजनिवास व दिल्ली सरकार के बीच रिश्तों में कड़वाहट के संकेत मिले।
बताते हैं कि मुख्यमंत्री को इस बात से भी नाराजगी थी कि कुछ फाइलें सीधे उपराज्यपाल को क्यों भेजी जाती हैं। बताते हैं कि उनके विरोध दर्ज कराए जाने के बाद इस मामले में राजनिवास ने नरमी दिखाई है और अब फाइलें केजरीवाल को भेजी जा रही हैं। उपराज्यपाल जंग ने कहा कि बतौर नौकरशाह उनका 40 साल का तजुर्बा है और इसके आधार पर वह कह सकते हैं कि सबके लिए कानून ने दायरा तय कर रखा है और उसके भीतर ही रहकर सबको काम करना है। उनकी इस नसीहत में कहीं न कहीं यह संदेश भी छिपा है कि यदि नई हुकूमत भी कानून के दायरे में अपना काम करती है तो टकराव की नौबत जाहिर तौर पर नहीं आएगी।